अमेरिकी पत्रकार की फोटो देखी तो दिल कांप गया. क्या किसी के साथ पुलिस इतनी बेरहमी से पिटाई कर सकती है? दिल्ली पुलिस ने इस घटना को अंजाम देकर एक बार फिर अपने आप को मुजरिमों के कटघरे में खडा कर दिया है. इतनी बुरी तरह से उन्हें पीटा गया है की उनके जख्मो के निशान साफ़ साफ़ नजर आ रहे है. इलियट तो अमेरिका चले गए है. लेकिन यहाँ से वो अपने साथ सिर्फ नफरत लेकर गए है.पुलिस के इस रुख ने ये साबित कर दिया है की दिल्ली पुलिस अपनी वर्दी का उपयोग नाजायज रूप से कर रही है या ये हो सकता है की दिल्ली पुलिस के पुलिसकर्मी अपनी बीबी से लडाई का गुस्सा उनके द्वारा पकडे जाने वाले लोगो पर लाठिया बरसाकर निकालते हो. ये पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी दिल्ली पुलिस इस तरह की हरकत कर चुकी है. कुछ दिनों पहले प्रसाद नगर थाने के पुलिसकर्मियों ने भी इसी तरह एक चोर को पकड़ कर रोड पर मारना शुरू कर दिया था. बहुत देर तक पुलिस कर्मी उसे मारते रहे. आखिर मेने जाकर जब विरोध किया तो वे कहते है की तुम एक चोर का साथ दे रहे हो? मेने उन्हें जब कहा की इस तरह से मारना गलत है. इसके खिलाफ रिपोर्ट लिखो और कानूनी कार्यवाही करो.मेने उन्हें बताया की मैं प्रेस से हूँ तो उनका कहना था की प्रेस से हो तो क्या हमें कानून बताओगे? ये रोब है हमारी दिल्ली पुलिस का. प्रेस वाले तो उनकी आँखों में खटकते है. इस तरह पुलिस की मारपीट के कई मामले तो पुलिस वाले दबा ही लेते है. आम आदमी तो पुलिस के डर से कुछ बोल ही नहीं पता है. लेकिन इस बार पुलिस ने एक पत्रकार के उपर अपना घरेलु गुस्सा उतार दिया.उन्हें ये अंदाजा नहीं था की ये आम आदमी नहीं पत्रकार है. और जब बात बढ़ी तो दलील देने लगे की इलियट चोर है.तो वो पुलिस कर्मी ये बताये की क्या किसी चोर को इतनी बुरी तरह से पीटा जाता है क्या? खेर पुलिस तो मामला बनाने और सबूत पैदा करने में माहिर है ही. उन्होंने मामला बना दिया. लेकिन क्या ये सच है की पुलिस ने उनके साथ मारपीट इसलिये की क्यूंकि वो एक चोर थे, या फिर पुलिस किसी पुरानी बात का बदला ले रही हो? क्यूंकि इलियट एक पत्रकार है.
नितिन शर्मा (news with us)
to kya hua..........ek baar angrage ..pit gaya to..............koi aafat to nahi aie na....waise bhi videson mai jab hindustani pitate hain to koi kuch nahi..kahata....
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