अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मात्र दस महीने के शुरूआती कार्यकाल के बीच उन्हें इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। ओस्लो में शुक्रवार को इस सम्बन्ध में की गई घोषणा के अनुसार ओबामा को यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को सशक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों की वजह से दिया जा रहा है। हालांकि ओबामा के चयन से नोबेल पुरस्कार के पर्यवेक्षक और व्हाइट हाउस की मानें तो खुद बराक ओबामा भी चकित हैं।
चंद दिन पहले पद सम्भाला
बराक ओबामा ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की अंतिम तिथि एक फरवरी से 12 दिन पहले राष्ट्रपति पद संभाला था। वैसे नोबेल समिति ने खुद स्वीकार किया है कि ओबामा को यह पुरस्कार उपलब्धियों से अधिक उनके इरादों और कोशिशों के लिए दिया जा रहा है। समिति ने ओबामा के परमाणु हथियार रहित विश्व के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण करार दिया है। उल्लेखनीय है कि भारी जीत के बाद बराक ओबामा ने अमरीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के तौर पर 20 जनवरी 2009 को शपथ ली थी।
नोबेल समिति की दलील
शांति के सर्वो“ा पुरस्कार के लिए ओबामा का चयन करने वाली नोबेल समिति का कहना है कि ओबामा जैसी शख्सियत वाले बहुत कम लोग होते हैं, जो दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करके लोगों में सुखद भविष्य की आस जगाते हैं। समिति के अनुसार उनकी कूटनीति का आधार यही है कि दुनिया का नेतृत्व करने वाले लोग उन्हीं मूल्यों और विचारों को आधार बनाएं, जिन्हें दुनिया की बहुसंख्यक आबादी मानती है। ओबामा को यह पुरस्कार ओस्लो में 10 दिसम्बर को आयोजित होने वाले समारोह में प्रदान किया जाएगा।
बराक और विश्व शांति
* आतंककारी संगठनों के प्रति पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी की संदिग्ध भूमिका के बावजूद पाक की आर्थिक मदद तीन गुना करने का निर्णय।
* ग्वांटोनामो कैदियों की रिहाई में देरी।
* पाक व अफगानिस्तान में तालिबान के सफाए के प्रयास, खास सफलता नहीं।
* इराक व अफगानिस्तान में विदेशी सेनाएं बरकरार
* ईरान व उत्तर कोरिया के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम छोडने के लिए राजी करने के प्रयास नाकाम।
नितिन शर्मा (news with us)
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