Monday, October 19, 2009

कैसे लाएंगे मैडल

यदि सरकारी स्कूलों से मैडल की उम्मीद की जाए तो यह बेमानी होगा। निजी स्कूलों ने इसमें भी अपना अधिकार जमा रखा है। सरकारी स्कूलों में स्पोट्र्स गतिविधियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में सरकारी स्कूलों की टीम ही बहुत कम जाती है। कारण यह है कि स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति की नहीं की जा रही है। जिले में सैकंडरी, हायर सैकंडरी और मिडिल स्कूलों को मिलाकर शारीरिक शिक्षकों के करीब 1030 पद रिक्त चल रहे हैं।
पदोन्नति में शामिल नहीं
शारीरिक शिक्षकों ने शिक्षा विभाग पर दोगला व्यवहार करने व पदोन्नति प्रक्रिया में अनदेखी करने का आरोप लगाया है। हाल में हुई पातेय वेतन पर तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति में शारीरिक शिक्षकों को शामिल ही नहीं किया गया। शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार ने निर्देश दिए थे कि पदोन्नति के समय यदि तृतीय श्रेणी शारीरिक शिक्षक स्कूल में नहीं है तो सामान्य अध्यापक को समायोजित कर दिया जाए। इस स्थिति में पातेय वेतन की पदोन्नति की प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षकों को शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन विभाग ने शामिल नहीं कर दोगला व्यवहार किया है।
प्रभावित हुई खेल गतिविधियां
राजस्थान शारीरिक शिक्षा शिक्षक संघ जयपुर के जिला अध्यक्ष बाबूलाल चौधरी ने बताया कि पदोन्नति व नई भर्ती, नवक्रमोन्नत विद्यालयों में बजट आवंटन के संदर्भ में मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री को कई बार ज्ञापन भी दिया जा चुका है। जिला अध्यक्ष ने बताया कि स्कूलों में शारीरिक शिक्षक नहीं होने से खेल गतिविघियां प्रभावित हो रही हैं। केंद्र सरकार की नीति के तहत प्रत्येक सैकंडरी स्कूल में शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जाए, जब शिक्षक ही नहीं होंगे तो विद्यार्थियों को शिक्षा कैसे दी जाएगी।
पूर्व शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में एक भी शिक्षक नहीं
पूर्व शिक्षामंत्री घनश्याम तिवाडी के निर्वाचन क्षेत्र सांगानेर में 14 माध्यमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में एक भी स्कूल में शारीरिक शिक्षक नहीं है। इतना ही नहीं इन विद्यालयों में खेल गतिविधियां ही नहीं हो रही हैं। साथ ही इन स्कूलों की टीमें कभी जिला या राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ही नहीं लेते हैं।
अधिकारियों की टालमटोल
शारीरिक शिक्षक व्याख्याता उम्मेद सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से डीपीसी के तहत तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में दो ही शिक्षकों को पदोन्नति दी गई है। साथ ही जिले में शारीरिक शिक्षक की काफी पद खाली पडे हैं, लेकिन विभाग है कि सुनता नहीं। उन्होंने बताया कि पद भरने के संदर्भ में जब माध्यमिक शिक्षा निदेशक से बात की गई तो निदेशक ने जवाब दिया कि विभिन्न सत्रों में जितने पद बनते हैं उसी के अनुसार पदोन्नति दी जाएगी। इसके बाद दुबारा मिलने की बात कहकर मामले को टाल रहे हैं।
नेताओं का ध्यान नहीं : शारीरिक शिक्षकों की कमी के चलते क्षेत्रीय विधायकों ने भी आंखें मूंद रखी हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में स्कूलों की संख्या तो अधिक है, लेकिन शारीरिक शिक्षक नाम मात्र के हैं।
इनका कहना है
शारीरिक शिक्षकों की अलग से डीपीसी होती है। पहले सामान्य शिक्षकों की पदोन्नति करनी जरूरी थी ताकि वे स्कूल में पढा सकें। शारीरिक शिक्षकों की भी पदोन्नति जल्द ही की जाएगी।
उमाकांत ओझा, उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा
नितिन शर्मा (news with us)

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