सब जानते थे राजधानी में आग लगने पर बचाने के साधन नहीं है। इसके लिए आपदा प्रबंधन ने 16 करोड की बडी राशि भी दी। निगम के साधारण बोर्ड ने ऎसी आग बुझाने में सक्षम छह करोड रूपए की स्नॉर्कल लैडर खरीदने के लिए प्रस्ताव भी पास कर दिया लेकिन निगम अधिकारियों मामला अटका दिया। जिसका खामियाजा राजधानी के करीब आधा दर्जन लोगों को जान गंवाकर चुकाना पड रहा है। नगर निगम में फायर समिति के अध्यक्ष मोहन यादव ने कहा , निगम के सीईओ ,मुख्यालय आयुक्त के साथ अकाउंट ऑफिसर भी जिम्मेदार हैं। फायर उपकरण खरीदने में बाधा बने निगम बोर्ड में स्वीकृत फाइलों को अटकाने अधिकारियों के खिलाफ सख्त कारवाई होनी चाहिए।
मुफ्त में मशीन देखने भी नहीं भेजा
पिछले दिनों जर्मन की कंपनी ने स्नॉर्कल लैडर देखने के लिए निगम के तीन व्यक्तियों को जर्मन भेजने का प्रस्ताव दिया। जिसका पूरा खर्चा जर्मन कंपनी उठाने को तैयार थी। इसको भी निगम के अधिकारियों ने कागजों में अटका दिया। करीब छह माह पहले फायर समिति के अध्यक्ष मोहन यादव दिल्ली गए लेकिन खरीदने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
टेंडर फाइल गायब
रीको ने उन्नत फायर स्टेशन, ट्रेनिंग सेंटर बनाने के लिए एक रूपए में नायला में करीब 4500 वर्गगज जमीन दी।
फायर समिति के अध्यक्ष यादव के अनुसार साधारण सभा में प्रस्ताव पास होने के बाद पचास-पचास लाख रूपए के टेंडर तैयार किए गए लेकिन पूरी प्रक्रिया की फाइल ही निगम से गायब हो गई।
चैसिस पडे रहे गाडी के इंतजार में
निगम ने पिछले दिनों 15 चैसिस खरीदे लेकिन करीब एक साल कबाड में पडे रहने के बाद सात चैसिस पर गाडी बनाने के लिए दिल्ली भेजा गया जो एक सप्ताह बाद आएंगे और अब भी आठ चैसिस कबाड में पडे हैं। ऎसे में राजधानी में आग लगने पर लोगों को भगवान भरोसे रहना पडता है।
आग लगने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्यालय आयुक्त , अकाउंट ऑफिसर सहित सभी लोग जिम्मेदार हैं। निगम की साधारण सभा में प्रस्ताव पास होने के बाद भी अधिकारी फाइलें अटकाने में माहिर हैं। उन्हें जनता के हित जगह फाइल को अटकाने में मजा आता है। ऎसे अधिकारियों के खिलाफ कारवाई होनी चाहिए। ऎसे अधिकारियों की वजह से अग्निशमन दस्ता बेबस है।
मोहन यादव, अध्यक्ष, फायर समिति जेएमसी
नितिन शर्मा (news with us)
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