Sunday, October 4, 2009

70 प्रतिशत धरती रेगिस्तान बन जाएगी।

जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए गम्भीर समस्या बनता जा रहा है। घटते वनक्षेत्र, धरती का बढता तापमान और कम होता मानसून कुछ ऎसे कारण हैं जिनकी वजह से सूखा पडने का खतरा बढ रहा है। यदि इस पर काबू पाने के गम्भीर प्रयास जल्द नहीं किए गए तो 2025 तक 70 प्रतिशत धरती रेगिस्तान बन जाएगी।

यह चेतावनी बढते मरूस्थलीकरण की समस्या पर विचार करने के लिए आयोजित नौवें संयुक्त राष्ट्र मरूस्थलीकरण विरोधी सम्मेलन (यूएनसीसीडी) में दी गई। सम्मेलन में 190 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मलेन के कार्यकारी सचिव लुक नकाद्जा ने कहा, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के बगैर लोगों की जान नहीं बचाई जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि सूखे से निपटने के लिए विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के कारगर उपाय करने होंगे।
ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट के मुताबिक, अभी 41 प्रतिशत धरती सूखा से प्रभावित है और इसमें धरती की करीब एक तिहाई आबादी निवास करती है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान के कारण 1990 से इसमें 15 से 25 प्रतिशत वार्षिक दर से वृद्धि हो रही है, जिसके चलते खाद्य उत्पादन में कमी दर्ज की जा रही है। अगला सम्मलेन दक्षिण कोरिया में 2010 में आयोजित किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन की मार गरीबों परइस्तांबुल। विश्व बैंक ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका और दक्षिण एशिया के आर्थिक उत्पादन में प्रति वर्ष करीब पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है। पृथ्वी के तापमान में दो डिग्र्री की बढोतरी भी 40 करोड से अधिक लोगों को भुखमरी के कगार पर ले जा सकती है, वहीं इससे दो अरब लोगों को पानी के भीषण संकट का सामना करना पड सकता है।
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री जस्टिन लिन ने इस्तांबुल में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की वार्षिक बैठक के दौरान संवाददाता सम्मेलन में दुनिया भर की सरकारों से इस संकट के प्रति तुरन्त जागरूक होने और प्रभावी कदम उठाने की अपील की।
विकासशील देश होंगे सर्वाधिक प्रभावित बीते माह जारी हुई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का 75 से 80 फीसदी प्रभाव विकासशील देशों पर पडेगा।
नितिन शर्मा (news with us)

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