Monday, September 28, 2009

क्या हम कलयुगी रावण को मार सकते है.

२८ सितम्बर २००९, दिन सोमवार , रावण के अंहकार के समाप्त होने का दिन। लाखो लोग साक्षी बने। जी हाँ हम बात कर रहे है दिल्ली समेत हुए पुरे देश में रावण दहन की। पुरा देश विजय दशमी के अवसर पैर उल्लास मन रहा था और रावण के पुतले फूंकने की तयारी चल रही थी। दिन भर लोग लंकापति का पुतला बनने में जुटे रहे, साथ में उनके पुत्र और भाई का भी। फ़िर समय आ गया जब इनके अहंकार को धुएं में उड़ना था। जगह जगह लोगो की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। लंकापति का पुतला खड़ा किया गया, और लगा दी आग। देखते ही देखते पुतला धू धू कर जलने लगा और रावण के साथ अहंकार भी राख हो गया। लोगो ने इस नज़ारे को देखा और चले गए अपने अपने घर........अब तैयारी दिवाली की। लेकिन लोगो ने ये नही सोचा की इस रावण को तो जला दिया लेकिन जो रावण हमरे देश में है उनका क्या? उनको कोण खत्म करेगा। क्या इस कलयुग में कोई राम होगा? या हमें ही राम के पदचिन्हों पर चलना होगा? पर हम राम के बताये रास्तो पर नही चल सकते। क्यूंकि सच हम बोल नही सकते और अहंकार तो हम में कूट कूट कर भरा है। राम ने अछूत सबरी के झूठे बेर खाकर उसको धन्यकर दिया था लेकिन हम तो निम्न वर्ग के लोगो को अपने घर का पानी भी नही पिला सकते। और तो राम ने अपने माता पिता को भगवान् माना था लेकिन आज तो रोज सुनने को मिल रहा है की एक बेटे ने माँ बाप को तीर्थ घुमाने के बहाने जंगल में छोड़ दिया। राम ने वचन निभाने के लियें अपना राजपाट छोड़ जंगल में वनवास काटा लेकिन हमरे लियें तो वादा तोड़ने के लिए ही होता है। ये है हमारा रामराज्य। ऐसे में क्या हम कलयुगी रावण को मार सकते है? सोचते रहो .लेकिन कर कुछ नही सकते........
नितिन शर्मा (news with us)

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