यहां गेम्स हैं, म्यूजिक है, वीडियो क्लिप्स है, रोमांस है मतलब फुल मौज-मस्ती है। यह आपका बिछडा यार मिलवा सकती है, आपके हुनर को विश्व के मंच पर सजा सकती है... वहीं यह रिश्ते तुडवा सकती है, नौकरी छुडवा सकती है और हजार दोस्तों के बीच आपको तन्हा बना सकती है। यह है सोशल नेटवर्किग की अनूठी दुनिया। इंटरनेट पर दोस्ती के वर्चुअल ठिकाने यानी साइबर नेटवर्किग की महफिल में गाफिल युवाओं की दुनिया पर एक गहरी नजर-नए दोस्त बनाने हों या पुरानों को खोजना हो, सोशल नेटवर्किग वेबसाइट्स तैयार हैं। पहली नजर में लगेगा कि यह तो दोस्ती का आसान सा नुस्खा है, पर धीरे-धीरे पता लगता है कि यह काल्पनिक संसार मानवीय भावनाओं को निगलता जा रहा है। सिंगल्स इसके जरिए साथी की तलाश कर रहे हैं, पर दूसरी तरह यह एक्स्ट्रा मैरिटियल अफेयर्स का माध्यम भी बनता जा रहा है। प्रचार, जानकारी, नौकरी और बिजनेस के नए दरवाजे खुल रहे हैं, तो वहीं कंपनी या बॉस के बारे में कुछ उल्टा-सीधा स्क्रैप करके लोग अपनी नौकरियां भी खो रहे हैं। ऑनलाइन सोशल नेटवर्किग मतलब युवाओं के लिए कम्युनिकेशन और जानकारियां शेयर करने का सबसे सुविधाजनक, सस्ता और आसान जरिया। एक जैसी रूचियों वाले लोग एक प्लेटफॉर्म पर मिलते हैं, अपनी बातें शेयर करते हैं। कहीं झूठा प्यार, तो कहीं अपहरण की साजिश भी इन्हीं वेबसाइट्स पर रची जा रही हैं। देश के युवा ऑरकुट, फेसबुक, टि्वटर, माईस्पेस, भारतस्टूडेंट कॉम जैसी कई सोशल नेटवर्किग साइटों के दीवाने हैं। साइबर स्पेस पर बिछी जाजम सबके लिए खुली है। भौगोलिक सीमा से परे साइबर स्पेस पर दोस्तों की महफिल सजा लेने वाली इंटरनेट पीढी यह समझती है कि जिंदगी इंटरनेट से शुरू होकर इंटरनेट पर ही खत्म होती है। वह नहीं समझ पा रही है कि आपसी संबंधों में अगर संकट आता है तो कहां मदद तलाशनी है, कहां बात करनी है और कैसे इसे हल करना है। यहां किसी के प्रोफाइल के साथ हजारों 'फ्रेंड्स' जुडे हो सकते हैं, लेकिन उनमें से जान-पहचान वालों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। यह बातचीत की दोतरफा प्रक्रिया को रोक रही है। कहीं न कहीं सोशल साइट्स हमें एंटी सोशल बना रही है। लोग यहां अपने बारे में कई सारी चीजें पोस्ट कर देते हैं, जैसे अपनी शादी टूटने के बारे में, अपने मर चुके कुत्ते के बारे में, अपनी प्राइवेट सर्जरी या प्राइवेट मेडिकल टेस्ट या चेकअप के बारे में, अपनी मेंटल इलनेस जैसे डिप्रेशन और एंग्जायटी के बारे में...और शराब पीने की अपनी लत के बारे में। सीनियर साइकेट्रिस्ट समीर पारेख का कहना है कि जो लोग किसी के सामने खुद को एक्सप्रेस नहीं कर पाते हैं वह इसे एक विकल्प मानने लगे हैं। इससे उन्हें लगता है कि उनकी मन की बात को कोई सुन रहा है। चलना संभल करफोटो, विचार और वीडियो शेयरिंग के दुष्परिणाम सामने आने के बावजूद ऑनलाइन दोस्ती की इस दुनिया को समझदारी से काम में लेने वाले युवाओं की भी कमी नहीं। लोग इनका इस्तेमाल किसी मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए भी कर रहे हैं। मसलन चर्चित आरूषि मर्डर केस मेंऑरकुट पर मौजूद उसके प्रोफाइल से पुलिस ने काफी जानकारी जुटाई तो ऑनलाइन कम्युनिटी के जरिए आरूषि के दोस्तों ने इंसाफ के लिए आवाज बुलंद की। बहरहाल नेट पंडितों का कहना है कि सोशल नेटवर्किग वेबसाइट्स पर लोग मिलते हैं और दोस्ती का दायरा बढता है, लेकिन कई बार गलत लोगों के चक्कर में भी पड सकते हैं। ऎसे में अपने बारे में कोई भी जानकारी देने और दोस्ती की राह पर कदम बढाने से पहले संभल जाएं तो बेहतर।शामिल हैं सितारेखबर है कि मल्लिका शेरावत और असिन जैसी बॉलीवुड हस्तियां भी सोशल नेटवर्किग से जुड गई हंै। कुछ महीने पहले ऑरकुट पर ऎश्वर्या राय और मल्लिका शेरावत का प्रोफाइल भी देखने को मिला। लोगों ने इनसे दोस्ती भी की और बातें भी। बाद में राज खुला कि यह प्रोफाइल झूठे थे यानी किसी शरारती दिमाग की उपज। अभिनेत्री अमृता राव को पता चला कि किसी फर्जी अमृता राव ने फेसबुक पर प्रोफाइल खोलकर, उनके सभी नजदीकी दोस्तों को भी साइट पर आमंत्रित कर लिया था। उसके बाद से उन्हें लगा कि इस तरह से वेबसाइट से जुडने पर आप प्रशंसको को अपनी वास्तविक स्थिति का ज्ञान करा सकते हैं वरना दूसरे लोग आपकी प्रसिद्धि का फायदा उठाते रहेंगे, इसका नतीजा यह है कि अमृता भी अब फेसबुक पर आ गई हैं। यूं शुरू हुई सोशल नेटवर्किगऑरकुट बायोक्टेन जब छोटे थे, तो स्कूल में एक लडकी से उनकी दोस्ती हुई। हाई स्कूल में दोनों बिछड गए। बायोक्टेन 20 साल के हुए तो वह आईटी के टेक्निकल आर्किटेक्ट बन गए लेकिन गर्लफ्रेंड के बिछडने का गम सताता रहा। उन्होंने एक ऎसा सॉफ्टवेयर बनवाया जिससे मैसेज भेजे और प्राप्त किए जा सके। सोशल नेटवर्किग की भाषा में इसी को स्क्रैप करना भी कहा जाता है। तीन साल की माथापच्ची और पैसा लुटाने के बाद आखिरकार बायोक्टेन ने अपनी खोई हुई गर्लफ्रेंड को इसी सॉफ्टवेयर की मदद से ढूंढ निकाला। इस दौरान पूरी दुनिया में उनके दोस्तों का दायरा भी बहुत बडा हो चुका था। काम पूरा हो गया तो बायोक्टेन ने इस सॉफ्टवेयर को बंद करना चाहा पर गूगल सर्च इंजन कंपनी ने इसे खरीद लिया और शुरूआत हो गई 'ऑरकुट सोशल नेटवर्किग' की। क्राई फॉर जस्टिसकौशांबी लायक का एक सोशल वेबसाइट के जरिए मनीष ठाकुर से प्यार परवान चढा। बाद मे कौशंाबी को पता चला कि मनीष शादीशुदा है। उसने मनीष से संबंध तोड लेने चाहे लेकिन मनीष उसको धमकाता रहा। और एक दिन कौशांबी का शव मुंबई के एक होटल में मिला। मनीष ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। जैसे ही यह खबर अखबार में छपी। अगले दो दिन में उस सोशल साइट का इस्तेमाल करने वाले ढेरों लोगों ने न्याय की गुहार लगाते हुए दो नई कम्यूनीटिज बनाई, 'ट्रिब्यूट टू कौशांबी लायक' और 'कौशांबी क्राई फॉर जस्टिस।' इन कम्युनिटी के मेंबर की संख्या बढती गई। मनीष को पहले ही हिरासत में ले लिया गया था और कौशांबी के स्क्रेप और प्रोफाइल से भी मनीष के खिलाफ जांच आगे बढाने में मदद मिली।दोस्तों ने मारामुंबई के एक बिजनेसमैन के 16 वर्षीय बेटे अदनान पटरावाला ने ऑरकुट पर अपना प्रोफाइल बनाया। यहां उसके दोस्त बने सुजीत नायर, आयुष भट्ट और हिमेश अंबावत। अगले छह महीनों के दौरान बातों-बातों में उन्हें लगा कि अदनान के परिवारवालों के पास काफी पैसा है। उन्होंने अदनान को एक जगह मिलने बुलाया और किडनैप कर लिया। इन दोस्तों ने अदनान के घर वालों से दो करोड रूपए की फिरौती की मांग की। मामला जब समाचार चैनलों में उछला तो पकडे जाने के डर से तीनों ने मिलकर अदनान का मर्डर कर दिया।
राजस्थान पत्रिका( परिवार )
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