Tuesday, September 15, 2009

क्या मुसलमान होना गुनाह है?

मुसलमान होना कतई गुनाह नही है।भाई, क्यूँ गुनाह हो? साडी संताने तो उसी उपर वाले की है, बस सबकी जीवन शेली अलग अलग है। लेकिन क्या सिर्फ़ इसी वजह से हम एक दुसरे से नफरत करे की हमारी जीवन शेली अलग है? असल में कुछ भटके हुए मुसलमानों की वजह से पुरी कोम को सर्मिन्दा होना पड़ता है। करता कोई है और भरता कोई और है। मुसलमानों में दशमलव एक प्रतिशत से भी कम अलगाववादी या आतंकवादी सोच रखते होंगे, लेकिन माहौल कुछ ऐसा बन चला है की सारे मुसलमान आतंकी करार दिए जाने लगे है। हालाँकि २६/११ या ९/११ की घटनाओ के बाद मुसलमान पैर जो अविश्वास बढ़ा है वो लाजमी है। इन घटनाओ में लिप्त आतंकवादी मुस्लिम थे, इस बात से किसी का इनकार नही है। लेकिन ऐसा क्यूँ हुआ इस पैर भी तो गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये। आख़िर वे कोनसे कारन है की मुस्लिम नवयुवक शेतानी ताकतों के हाथो खेलने के लियें तैयार हो जाते है?
जवाब है असमानता और अशिक्षा। धरम और अधर्म का फर्क उन्हें नही मालूम। अपने देश में मुस्लिमो की शिक्षा पर किसी ने सही ध्यान नही दिया। न इस कोम के नेताओ ने और न देश के नेताओ ने। बस मुसलमान को वोट बैंक में बदल दिया। स्थिति बड़ी हेरेतान्गेज है। जहाँ देश की आजादी के ६२ साल बाद भी मुसलमानों पैर शक किया जाता है, वहीं इस देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति मुस्लिम हो चुके है। सिनेमा की बात करे तो तीनो खानों को समूचे हिन्दुस्तान का सबसे ज्यादा प्यार मिलता है। मुसलमानों को यहाँ इतना ज्यादा प्यार भी मिलता है। वाकई यह अजीब गुत्थी है। याद रहे की वतन के लियें हमेशा ही मुसलमानों ने कुर्बानिया दी है। अक्षरधाम मन्दिर में मुस्लिम आतंकवादियो ने हमला किया, तो दूसरी तरफ़ यह भी सच है की इन आतंकवादियो से मुकाबला करते हुए जो कमांडो सबसे पहले शहीद हुआ, उसका नाम अल्लारखा था। असल में आतंकवादियो का कोई धर्म नही होता। लिट्टे या उल्फा जैसे खतरनाक आतंकी क्या मुस्लिम है? हमें हर समस्या को धरम से जोड़कर नही देखना चाहियें। अमेरिकी सुरक्षाकर्मियो ने शाहरुख खान या अब्दुल कलाम साहब की लम्बे समय तक रोक कर जाँच की, तो जार्ज फर्नांडिस और चिंदबरम साहब की भी इसी तरह शिनाख्त की गई थी। अमेरिका को अपने तोर तरीको में बदलाव लाना चाहियें। लेकिन यदि सुरक्षा नियमो के तहत कोई जाँच की जाती है तो उसे किसी धर्म विशेष से जोड़कर हाला मचाने की आवश्यकता नही है।
साभार: अमर उजाला

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