Saturday, July 10, 2010

ऑक्टोपस और तोते के भरोसे देश

एक हैं पॉल एक हैं मानी। पहला है ऑक्टोपस, दूसरा है तोता। यूं तो इनमें आपस में कोई संबंध नहीं लेकिन इन दिनों दोनों काफी प्रसिद्धी पा रहे हैं। दोनों द. अफ्रीका में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप फुटबाल मैचों की सटीक भविष्यवाणियां कर रहे हैं। विशेषकर पॉल नामक ऑक्टोपस महाशय अभी तक जर्मनी के सभी छह मैचों की के बारे में ठीक-ठीक बता चुके हैं। स्पेन के फाइनल में पहुंचने के बारे में उनका आकलन सही साबित हुआ। सट्टेबाज मैचों से ज्यादा उसकी भविष्यवाणियों पर दांव लगाने लगे हैं। हालांकि बेचारा सेमीफाइनल में स्पेन के खिलाफ जर्मनी की पराजय की भविष्यवाणी कर गंभीर संकट में फंस गया है और जर्मन प्रशंसक उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उधर, सिंगापुर का एक तोता मानी नीदरलैंड के लिए सटीक भविष्यवाणी कर रहा है, उसके फाइनल में जीत हासिल करने के बारे में आश्वस्त है। नीदरलैंड के लिए अब यह तोता विशेष आदर का विषय बन चुका है। पूर्व में जापान में भी कई बार बिल्लियां-कुत्ते या मछलियां भूकंप आने के संबंध में सटीक भविष्यवाणी कर चुके हैं। क्या हो गया है पश्चिम के देशों को, जहां ज्योतिष-भविष्यवाणियां आदि पिछड़े हुए देशों की मानसिक जहालत के प्रतीक के तौर पर देखी जाती थीं। वे देश तक जीव-जंतुओं की बात पर न सिर्फ यकीन कर रहे हैं बल्कि उन्हें भविष्यवक्ताओं जैसा आदर तक दे रहे हैं। कल को हो सकता है कि ये देश अपनी गंभीर समस्याओं का निराकरण भी इनसे पूछकर ही करने लगें...।यहां इस लेख का विषय उनकी भविष्यवाणियों के बारे में बात करना नहीं बल्कि इस विश्वास पर सोचना है कि क्या सचमुच में जीव-जन्तुओं में भविष्य को देखने की ताकत होती है या फिर लोग जबर्दस्ती बेचारों पशु-पक्षियों की सामान्य हरकतों में से इस तरह के नतीजे निकालने में जुटे रहते हैं।क्या इस तरह के विश्वासों के प्रति आदमी के मन में छुपी भविष्य जानने की सामान्य उत्कंठा काम कर रही है। क्या अति आधुनिकता की दौड़ में फंसे आदमी के जीवन में पुरातन विश्वास फिर सिर उठाने लगे हैं।या अपनी सुरक्षा, भविष्य के प्रति संदेह से भरे आदमी का विश्वास उसे इन बातों पर भरोसा करने के प्रति उकसाता है। आखिर क्या वजह है विज्ञान की सदी में आदमी के ऐसे विश्वासों की

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