Saturday, July 10, 2010
मां का दूध ही सूनी कर रहा था गोद
जयपुर। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत होता है लेकिन जेनेटिक बीमारी के चलते एक मां की चार संतानों के लिए यह दूध ही जानलेवा बन गया। मामला है सीकर का। डॉक्टरों ने तीन माह पूर्व ही उसकी पांचवीं संतान को बचाया है। इसमें ऎसी एक खास तरह की जेनेटिक बीमारी पकड़ में आई जो साठ हजार मामलों में से केवल एक को होती है। दम्पती को ऎसी कोई बीमारी नहीं रही, इसलिए संतानों में यह कहां से आई यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।मिली जानकारी के मुताबिक सीकर निवासी सईदा (28) (परिवर्तित नाम) के अब तक चार संतानें पैदा हुईं, जिसमें एक बेटा और तीन बेटियां थीं। इनमें से एक भी 15-20 दिनों से ज्यादा जीवित नहीं रह पाई। दम्पती के मुताबिक एक के बाद एक बच्चे की मौत ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था। हर बार बच्चे बिल्कुल सामान्य पैदा होते लेकिन जैसे ही उन्हें मां का दूध पिलाया जाता उनकी तबीयत बिगड़ने लगती। मुम्बई व अहमदाबाद के अस्पतालों तक में बीमारी पकड़ में नहीं आई। दो वर्ष पूर्व चौथी संतान पैदा हुई तो उसके साथ भी ऎसा ही होने लगा। उसे जयपुर लाकर डॉ. तुषार दशोरा को दिखाया। उन्होंने जांचें कराई लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आ पाई और जन्म के 12-13 दिन बाद उसने भी दम तोड़ दिया। डॉ. दशोरा के अनुसार सबसे बड़ी बात थी कि चौथी संतान के जो जेनेटिक टेस्ट कराए गए (माइटोकॉड्रियल इनहेरिटेंस) वो भी नेगेटिव आए। इससे साफ हो गया कि बच्चे पैदा तो सामान्य हो रहे थे लेकिन मां का दूध पिलाने के एक-दो दिन बाद से ही उनकी तबीयत खराब होने लगती थी। चौथी संतान की मृत्यु के बाद ही आईईएम (इनबोर्न एरर ऑफ मेटाबॉलिज्म) बीमारी का संदेह हो गया था। इसलिए इस दम्पती को आगे भी फॉलोअप में बने रहने के लिए कहा गया।जिंदगीभर नहीं पी सकेगी दूधडॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के बच्चों को लेक्टोज फ्री डाइट पर रखा जाता है। उन्हें खास तरह का दूध दिया जाता है क्योंकि ये न तो मां का दूध पचा पाते हैं और न ही गाय-भैंस का दूध इनके लिए फायदेमंद होता है। इनके लिए खास तरह का लेक्टोज फ्री मिल्क बाजार में उपलब्ध होता है। यह बच्ची जिंदगीभर इसी तरह का दूध पी सकेगी, लेक्टोज वाला दूध पीना या दूध उत्पाद खाना इसके लिए संभव नहीं होगा।क्या है ग्लेक्टोसीमियायह एक तरह का मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसमें ग्लेक्टोज आगे नहीं टूट पाता और शरीर में ग्लेक्टोज की मात्रा बढ़ती जाती है। और यह बढती मात्रा जहर का काम करती है। इसे ग्लेक्टोसीमिया कहा जाता है।ऎसे पता चली बीमारीचार माह पहले सईदा ने सोनी अस्पताल के डॉ. तुषार दशोरा से सम्पर्क किया। तीन माह पूर्व सामान्य प्रसव से बेटी हुई और उसे मां का दूध पिलाने पर वैसे ही लक्षण दिखाई देने लगे। पता चला कि बच्ची को ग्लेक्टोसीमिया नाम का मेटाबॉलिक डिसऑर्डर यानी जेनेटिक बीमारी है। इसमें बच्चा दूध को पचा नहीं पाता और उसमें उपस्थित एक घटक की मात्रा रक्त में इतनी अधिक हो जाती है कि वो जहर का काम करती है।
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