Saturday, November 7, 2009

अमेरिका: गोलीबारी करने वाला आर्मी डॉक्टर कोमा में

अमेरिका के एक प्रमुख रक्षा ठिकाने में अंधाधुंध गोलीबारी कर 13 व्यक्तियों को मार डालने के संदिग्ध आरोपी सैन्य मनोविज्ञानी को सैन अन्तोनिया स्थित एक ट्रॉमा केंद्र ले जाया गया है।
जॉर्डन में जन्मे अमेरिकी नागरिक मेजर निदाल मलिक हसन (39 वर्ष) को शुक्रवार सान अन्टोनियो के समीप फोर्ट हुर्ड सैन्य ठिकाने में अंधाधुंध गोलीबारी करने के बाद पकड़ा गया था। गोलीबारी कर रहे हसन पर एक महिला पुलिस अधिकारी ने चार गोलियां चलाईं और फिर उसे पकड़ा गया।
यहां के कुछ अखबारों में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि वर्जीनिया में जन्मे हसन को इराक में नहीं बल्कि अफगानिस्तान में तैनात किया जाना था। उसे सैन अन्तोनियो स्थित ब्रुक मेडिकल आर्मी सेंटर लाया गया। वह कोमा में है और उसकी हालत स्थिर बताई जाती है।
हसन ने जब अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की। इसके बाद सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। मेडिकल केंद्र के प्रवक्ता डेवी मिशेल ने हसन को मध्य टेक्सास के अस्पताल से ट्रामा सेंटर लाए जाने के फैसले के बारे में कुछ नहीं बताया। फोर्ट हुड अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है जहां 50,000 सैनिक, उनके 150,000 परिजन और नागरिक रहते हैं। यहां सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था है।
शुक्रवार की घटना के बाद 340 वर्ग मील में फैले इस ठिकाने में मीडिया कर्मियों का प्रवेश रोकने के लिए अतिरिक्त गार्ड तैनात कर दिए गए हैं। गोलीबारी की इस घटना से स्तब्ध और परेशान सैन्य अधिकारी पूरे घटनाक्रम के बारे में सूचनाएं एकत्र कर रहे हैं।
गोलीबारी में 12 सैनिक और रक्षा मंत्रालय का एक असैनिक अधिकारी मारा गया और करीब 30 व्यक्ति घायल हो गए। अधिकारियों को यह सवाल सबसे परेशान कर रहा है कि क्या उन्होंने चेतावनी के संकेत नजरअंदाज कर दिए। हमले के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। लेकिन खबरों से संकेत मिलता है कि अभिभावकों के मना करने के बावजूद हाई स्कूल के बाद सेना में शामिल हुआ हसन परेशान था। जांचकर्ताओं ने हसन के कंप्यूटर, उसके घर और उसके फालतू सामान की जांच कर पता लगाने का प्रयास किया कि उसने अपने सहकर्मी सैनिकों पर गोलीबारी क्यों की थी। हसन अभी कौमा में है। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि घायलों में से कुछ की हालत बेहद नाजुक है और शायद वे बच नहीं पाएं। वहीं हसन के एक संबंधी ने बताया कि अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद से हसन कई बार शिकायत कर चुका था कि उसके सहयोगी उसकी मजहबी पृष्ठभूमि को लेकर उसे परेशान करते हैं। हसन मुसलमान है। बताया जाता है कि वह ज्यादातर अकेला रहता था। इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाइयों पर भी उसने कड़ी आपत्ति जताई थी। प्रत्यक्ष तौर पर वह अफगानिस्तान में अपनी तैनाती नहीं चाहता था।
नितिन शर्मा (news with us)

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