Monday, November 23, 2009

46 निकायों में मतदान संपन्न

जयपुर। जयपुर नगर निगम सहित राजस्थान के 46 स्थानीय निकायों में आज निकाय प्रमुखों व सदस्यों को चुनने के लिए सुबह आठ बजे शुरू हुआ मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। हालांकि, कुछेक जगहों पर छिटपुट झडपों की खबरें भी मिली।
राज्य निर्वाचन आयुक्त एके पांडे के अनुसार दोपहर तीन बजे तक राज्य में लगभग 50 फीसदी वोट पडे थे। चुनाव के लिए प्रदेश भर में कडी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। विभिन्न जिलों में स्वाइन फ्लू के प्रकोप को देखते हुए कई मतदान केन्द्रों पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात पुलिस कर्मियों ने मास्क लगा रखे थे। ठंड के कारण शुरूआती घंटों में जयपुर समेत राज्य के कई हिस्सों मतदान धीमा रहा लेकिन दिन चढते मतदान में तेजी देखी गई।
मुख्यमंत्री गहलोत ने जोधपुर में डाला वोट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने परिजनों के साथ जोधपुर में मतदान किया। गहलोत धर्मपत्नी सुनीता, पुत्र वैभव और पुत्रवधू हिमांशी के साथ वार्ड नं. 54 के वर्धमान जैन उच्च माध्यमिक विद्यालय महामंदिर स्थित मतदान केन्द्र पर पहुंचे और करीब पौने नौ बजे उन्होंने अपना वोट डाला।
जयपुर: महापौर प्रत्याशियों ने मतदान किया
जयपुर नगर निगम के महापौर पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल ने सुबह साढे आठ बजे किशनपोल बाजार में छोटी चौपड स्थित महाराजा गल्र्स स्कूल में अपना मत डाला। वहीं भाजपा की ओर से महापौर की प्रत्याशी सुमन शर्मा ने मालवीय नगर स्थित सेक्टर सात स्थित मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। जयपुर शहर के सांसद महेश जोशी ने रेलवे स्टेशन के पास डीआरएम ऑफिस में बने मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
राज्य के चुनाव आयुक्त एके पाण्डे ने जयपुर के गांधीनगर स्थित उच्च माध्यामिक बालिका विद्यालय स्थित मतदान केन्द्र पर मतदान किया। वहीं, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. बीडी कल्ला और भाजपा सांसद अर्जुन मेघवाल ने बीकानेर में मतदान किया।
हर बूथ पर दो ईवीएम
निकाय प्रमुख के लिए पहली बार सीधा मतदान होने के कारण इस बार एक मतदान केंद्र पर दो ईवीएम लगाई गई। इसमें एक मशीन निकाय प्रमुख व दूसरी पार्षद के लिए लगाई गई है। पहली बार निकाय चुनाव में मतदाता को एक साथ दो वोट डालने पडे।
46 निकायों के लिए मतदान प्रदेश के जयपुर, जोधपुर सहित चार नगर निगम, 11 नगर परिषद और 31 नगर पालिकाओं के लिए मतदान हुआ। इसके अलावा 11612 वार्ड सदस्यों के लिए मतदान होना था, जिसमें से 19 स्थानों पर सदस्य निर्विरोध निर्वाचित होने के कारण अब 11593 वार्ड में सदस्यों के लिए चुनाव हुआ।
नगर निगम : जयपुर, कोटा, जोधपुर व बीकानेरनगर परिषद : श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चूरू, झुंझुनूं, सीकर, अलवर, भरतपुर, टोंक, ब्यावर, उदयपुर व पालीनगर पालिका : सूरतगढ, राजगढ, पिलानी, बिसाऊ, नीमकाथाना, भिवाडी, पुष्कर, सांगोद, कैथून, मांगरोल, छबडा, चित्तौडगढ, निम्बाहेडा, रावतभाटा, बांसवाडा, कानोड, नाथद्वारा, आमेट, सुमेरपुर, सिरोही, माउंटआबू, शिवगंज, पिण्डवाडा, जालौर, भीनमाल, बाडमेर, बालोतरा, जैसलमेर, फलौदी, डीडवाना और मकराना।
जयपुर में सीधा मुकाबला
जयपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए पांच और 77 पार्षद पदों के लिए कुल 429 उम्मीदवार मैदान में हैं। राजधानी में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति खंडेलवाल व भाजपा प्रत्याशी सुमन शर्मा के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस विधानसभा व लोकसभा चुनाव में जीत के बाद तिकडी बनाते हुए पहली बार जेएमसी में बोर्ड बनाने को आतुर है। यही वजह है कि कांग्रेस के सांसद महेश जोशी, विधायक प्रतापसिंह, परिवहन मंत्री बृजकिशोर शर्मा आदि पूरी ताकत से जुटे रहे। वहीं जयपुर निगम बनने के बाद से लगातार दबदबा बनाए रखने वाली भाजपा एक बार फिर अपना झंडा फहराने को बेताब है। पार्टी ने नेताओं ने पूरा दमखम लगा दिया है।
जिलों से मिली खबरों व अन्य सूत्रों के अनुसार निकाय प्रमुख पद के लिए 33 शहरों में सीधी टक्कर है, जबकि एक दर्जन स्थानों पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। श्रीगंगानगर में कांग्रेस व भाजपा के बागियों ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है।
चुनाव आयुक्त ने की अपील
निर्वाचन आयुक्त ए.के. पाण्डे ने मतदाताओं से अपील की कि वे बिना किसी डर एवं दवाब के मतदान करने जाएं। कमजोर वर्ग को स्वतंत्र रूप से मतदान कराने के लिए सभी सुरक्षात्मक उपाय किए गए। संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों में सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था की गई। गडबडी की आशंका वाले क्षेत्रों में विशेष पुलिस बल तैनात किया गया था।
चुनाव एक नजर में :निकाय - 46मतदाता - 56 लाख 59 हजार 790पुरूष मतदाता - 30 लाख 11615 महिला मतदाता - 26 लाख 48175 निकाय प्रमुख के उम्मीदवार -270चुनाव वाले वार्ड -1612पार्षद के लिए उम्मीदवार - 6179मतदान केन्द्र - 6002चुनावी मशीनरी - करीब 40 हजार कर्मचारी
राज्य में हमारी सरकार के सुशासन का फायदा मिलेगा। पर्यवेक्षकों और जिला प्रभारी मंत्रियों के फीडबैक के आधार पर कह सकता हूं कि ज्यादातर निकायों में कांग्रेस जीतेगी। -सी.पी. जोशी, प्रदेशाध्यक्ष
कांग्रेस राज्य में एक साल में जो स्थिति बनी है और यह सरकार जिस तरह विफल रही है, उस आधार पर दावा कर सकता हूं कि अधिकतर निकायों में भाजपा का कब्जा होगा। -अरूण चतुर्वेदी, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा
नितिन शर्मा (news with us)

Wednesday, November 18, 2009

नए में खो न जाए पुराना

गुलाबी नगरी, दूसरी काशी, नियोजित नगरों में प्रथम आदि अनेक नामों से पहचाने जाने वाले जयपुर का नाम सुनते ही इस नगर की गत तीन सदियां मानस- पटल पर घूम जाती हैं, जिनमें इसने कला, साहित्य, संस्कृति, समाजसेवा, नगर नियोजन, धर्म, ज्योतिष आदि न जाने किन-किन क्षेत्रों के इतिहास में अपने अमिट चिह्न छोडे हैं। देश के सबसे विशाल राज्य की राजधानी होने के कारण यह गगनचुंबी अट्टालिकाओं के निर्माण में व्यस्त है, अत: इसकी अपनी अनेक पहचान लुप्त होने के कगार पर है। यदि सवाई जयसिंह, जिन्होंने 18 नवम्बर 1727 को इसकी नींव रखकर 1734 में विशाल अश्वमेध किया था, कभी भूले-भटके आज यहां आ जाएं, तो वे अपनी ही नगरी को नहीं पहचान पाएंगे। बीसवीं सदी के प्रथम चरण में जब यहां बिजली की रोशनी नहीं होती थी (वर्ष 1926 में शुरू हुई) यहां आए एक यात्री ने इस नगरी की जिन विशिष्ट पहचानों का जिक्र किया है, उनमें इसे ज्योतिष की नगरी कहा है, जैन नगरी कहा है, पंडितों की नगरी, गोठों (दावतों) की नगरी, मंदिरों की नगरी, परिक्रमाएं करने वाली नगरी भी और संगीत व चित्रकला के घरानों की नगरी भी। कलाएं : देश में ऎसे कम ही नगर हैं, जिनके नाम संगीत के घराने के रूप में मशहूर हो गए हैं। जयपुर घराना संगीत के इतिहास में अंकित है। मल्लिकार्जुन मंसूर से लेकर किशोरी अमोनकर तक जयपुर घराना, बहराम खां डागर से लेकर भट्ट परिवार तक ध्रुवपद की परम्परा चली आ रही है। लोकनाट्य की एक शैली जो 'तमाशा' के नाम से सुविदित है, आज भी ब्रह्मपुरी के भट्ट परिवारों ने जीवित रखी है, जिसकी विशेषता है, शास्त्रीय रागों में निबद्ध लोकभाषा की गाथाओं, फब्तियाें आदि द्वारा बिना रंगमंचीय तामझाम के नुक्कड नाटक शैली में प्रस्तुति देना, यह भी जयपुर की परम्परा है। संगीत के इतिहास में 'गुणिजन खाना' भी अपनी पहचान रखता था, जिसमें गायक, वादक आदि नियुक्त रहते थे। उनकी नियुक्ति राजा के शयन कक्ष के निकट एक चौबारे में चौबीसों घंटे समयानुरूप रागों की प्रस्तुति देते रहने की होती थी। उस समय रेडियो सेट तो होते नहीं थे, न तो ग्रामोफोन थे, गुणिजन खाना ही काम आता था। यहां के संगीतकारों ने संगीत के लक्षण ग्रंथ भी लिखे और शिक्षा के ग्रंथ भी। चित्रकला की विभिन्न शैलियों में जयपुर की शैली भी सुविदित है, 'कलम' को पहचानने वाले आज भी मिल जाते हैं। 'गालीबाजी' की भी परम्परा थी, जिसमें रात-रात भर कवि और गायक समकालीन स्थितियों पर काव्यात्मक फब्तियां कसते हुए जन-जन का मनोरंजन करते थे। जीमण : जयपुर के जीमण मशहूर रहे हैं। बहुत बडी संख्या में जीमण करवाना हो, तो सडकों पर ही पत्तल लगाकर, चारों ओर कनात से ढककर जीमण करवाया जाता था, तब सडकें बहुत साफ-सुथरी हुआ करती थीं। सवाई माधो सिंह द्वितीय के निधन के बाद उनके नुकते में सारा शहर तो जीमा ही था, जयपुर से गुजरने वाली रेलगाडियों के हर डिब्बे में यात्रियों को भोजन दिया गया था। सारी जनता के भोजन को हेडा कहा जाता था, इसका वर्णन मदनमोहन सिद्ध ने 'जयपुर की ज्योणार' पुस्तिका में किया है। जनसंख्या बढने पर भोजनार्थियों की पहचान टिकट बांटकर की जाती थी, कनातों से उन्हें रोका जाता था। इसके बावजूद कनात फाडकर, अनधिकृत रूप से जो लोग भोजन के लिए पहुंचते थे, उन्हें 'लढाक' कहा जाता था। ऎसे-ऎसे 'लढाक' हुआ करते थे कि खूब पहरे के बावजूद छककर ही लौटते थे। नगर सीमा में बने उपवनों में 'गोठ' की परम्परा थी। 'वन सोमवार' की भी परम्परा थी, सावन के प्रत्येक सोमवार को घर से खाना ले जाकर नगर के निकटस्थ उपवनों में मिल-ब्ौठकर शिव पार्वती की पूजा के बाद खाना महिलाओं की विशिष्ट प्रथा थी। ऎसी सभी परम्पराओं का वर्णन मेरे पिता कविशिरोमणि मथुरानाथ शास्त्री ने अपने सुप्रसिद्ध संस्कृत काव्य 'जयपुर वैभव' में किया है। अश्वमेध यज्ञ : सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाने के बाद 1734 में अश्वमेध यज्ञ किया था, जिसकी धूम सारे भारत में मची थी। इसे इतिहास का अंतिम अश्वमेध यज्ञ कहा गया। यज्ञ एक वष्ाü तक चला था, आहुति के लिए घी की बावडियां बनाई गई थीं। दक्षिण भारत से वरदराज विष्णु की मूर्ति लाई गई थी, जो आज भी पहाडी पर स्थित है। आमेर रोड के पास एक स्तम्भ बनाया गया था, जो आज भी है। भारत भर से बुलाए गए वैदिकों व विद्वानों को ब्रह्मपुरी में बसाया गया था। जंतर-मंतर : जयपुर का जंतर-मंतर अर्थात ज्योतिषयंत्रशाला इतिहास प्रसिद्ध है। यह यंत्रशाला सर्वाधिक वैज्ञानिक है, जो आज विश्व धरोहरों में शामिल होकर जयपुर का गौरव बढा रही है। कल्कि मंदिर : हर जाने-पहचाने देवता के मंदिर जयपुर में हैं। भविष्य में अवतार लेने वाले देवता का भी मंदिर यहां है। कलियुग की समाप्ति पर विष्णु का दसवां अवतार अर्थात कल्कि अवतार होगा, यह अवधारणा दृढ है। जिज्ञासा व श्रद्धावश सवाई जयसिंह ने कल्कि जी का मंदिर बनवाया था, जो आज भी विद्यमान है। सर्वधर्मसमभाव : जयपुर में हर धर्म के लोग बसाए गए थे। सभी धर्मो के मंदिर, मठ, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च बनवाए गए थे। प्रारम्भ से ही सब धर्मो के जो उत्सव मनाए जाते थे, उनमें सभी नागरिक भाग लेते थे। जब ताजिए निकलते थे, तो उनमें से एक सवाई रामसिंह के नाम भी होता था। हिन्दू माताएं अपने बच्चों को ताजिए के नीचे से होकर निकालती थीं। घाट दरवाजे के बाहर बना चर्च तथा स्टेशन रोड का प्रोटेस्टेंट चर्च सदियों से प्रसिद्ध है। गुरूद्वारे भी सारी जनता के श्रद्धा केन्द्र हैं। जयपुर को जैनों की नगरी कहा जाता है। जयपुर की अपनी विशिष्ट परम्पराओं का इतना रंगारंग और सुदीर्घ इतिहास रहा है कि समग्र आकलन के लिए तो अनेक ग्रंथ भी कम पडेंगे। राजस्थान पत्रिका का स्तम्भ 'नगर परिक्रमा' यह कार्य अनेक दशकों तक करता रहा, फिर भी यह इतिहास पूरा नहीं हो पाया। हमारी तो बिसात ही क्या है
नितिन शर्मा (news with us)

टूट गया सपना

राजस्थान के नागरिकों का एक सपना सच होने से पहले ही टूट गया। पिछले दिनों जब यह निर्णय किया गया था कि इस बार महापौर व स्थानीय निकायों के अध्यक्षों को सीधे जनता चुनेगी, तो लगने लगा था कि शहरों की दशा सुधारने की दिशा में एक बडा कदम उठ गया है। नागरिक मन ही मन अपने नए महापौर या निकाय अध्यक्ष को लेकर मंसूबे बनाने लगे थे। उसके व्यक्तित्व और कार्यक्षमता को लेकर सपने देखने लगे थे। पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने ये सपने तोड दिए। इन पदों के उम्मीदवारों के रूप में वे ही घिसे-पिटे नाम! इन नामों को देख कर समझा जा सकता है कि भारत के राजनीतिक दलों को क्षुद्र राजनीतिक हानि-लाभ से बढकर कुछ सोचने की क्षमता विकसित करने में अभी बहुत समय लगेगा।
जिस तरह सीधे चुनाव की घोषणा हुई थी, उससे एक बार लगा था कि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां इस बार मेयर, अध्यक्ष व सभापति पद के लिए कुछ चौंकाने वाले नाम ढूंढेंगी। जनता के सामने ऎसे व्यक्तित्वों को रखा जाएगा, जो अपने शहर को अपनी हथेली की तरह जानते हो। जिनके मन में शहर के लिए कुछ सपने हों। जो बीमार स्थानीय निकायों को भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के शिकंजे से छुडा कर शहर का कायापलट कर सकें। नागरिकों को अपने साथ जोडकर उनका जीवन सुखी बना सकें। शहर में आधारभूत सुविधाओं के लिए पैसा जुटा सकें और अपनी संवेदनशीलता व प्रशासनिक क्षमता के बूते पर सबको साथ लेकर चल सकें। अब लगता है कि ये राजनीतिक दल केपटाउन की मेयर हेलेन जिले या ज्यूरिख के मेयर एल्मार लेडेरर्वर जैसे व्यक्ति तो सपनों में भी नहीं ढूंढ सकते, जिन्होंने अपने-अपने शहरों को विश्व के सबसे पसंदीदा शहर बना दिए। फिर क्या राजनीतिक दलों के लिए यह जरूरी है कि किसी राजनीतिक व्यक्ति का नाम ही चुना जाए। शहर का प्रथम नागरिक क्या कोई साहित्यकार, कोई कलाकार, कोई दमदार पूर्व प्रशासक या ऎसा व्यक्ति नहीं हो सकता, जिसमें उपरोक्त गुण हों
सीधे चुनाव की स्थिति में होना तो यह था कि इस तरह के कुछ नाम जनता के सामने रखे जाते। शहर के विकास के लिए उनके सपनों को लेकर वाद-विवाद, चर्चा-परिचर्चाएं होतीं। पर ऎसा कुछ नहीं हुआ। नामों के चयन में वही सब हुआ जो विधानसभा-लोकसभा चुनावों में होता है। जिन के सिर पर बडे नेताओं का हाथ था, उन्हें चुन लिया गया। भले ही शहर के विकास से उनका दूर-दूर का नाता न हो, नेताओं के आगे-पीछे घूमना उन्हें अच्छी तरह आता हो। राजनीतिक दलों की कमान पढे-लिखे युवाओं के हाथ में आने से यह उम्मीद थी कि वे कुछ नए तरीके से सोचेगे, पर वे भी लकीर के फकीर साबित हुए। सभी दलों में एक ही मंत्र चला 'सभी बडे नेताओं को खुश रखो ताकि अपनी कुर्सी सलामत रहे।' क्या ही अच्छा होता कि अच्छे नामों के लिए शहर के प्रबुद्ध लोगों से राय ली जाती।
पर्चे भरने और नाम सामने आने के बाद लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। फिर भी बाजी पूरी तरह से जनता के हाथों से नहीं निकली है। जनता चाहे तो दोनों राजनीतिक दलों को अपना अपमान करने का मजा चखा सकती है। मतदान के समय राजनीतिक पूर्वाग्रहों से उठकर सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी को चुनें, तभी शहर का भला हो सकता है। नेताओं के प्यादे ऎसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठते रहे तो भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और अराजकता का राज यूं ही चलता रहेगा। शहर की सांस अग्निकाण्डों, ट्रेफिक जामों और स्वाइन फ्लू- डेंगू के खतरों तले यूं ही घुटती रहेगी।
साभार : भुवनेश जैन, राजस्थान पत्रिका
नितिन शर्मा (news with us)

Wednesday, November 11, 2009

तेज से पीछे हुआ डीडी, सबसे फायदे में आईबीएन7

सप्ताह 45वां, 1 नवंबर से 7 नवंबर 09 तक : यह हफ्ता अपेक्षाकृत शांत है। न्यूज24 की बढ़त जारी है। बहुत दिनों बाद इस चैनल का मार्केट शेयर 6.1 फीसदी तक पहुंच गया है। इस हफ्ते सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है डीडी न्यूज ने। उसे पूरे एक फीसदी का नुकसान पहुंचा है और वह तेज से पीछे हो गया है। सर्वाधिक फायदे में आईबीएन7 रहा है। इस चैनल को 0.7 अंकों का फायदा पहुंचा है और उसकी टीआरपी 9.5 हो गई है। आज तक को छोड़कर उसके बाद के क्रमशः छह न्यूज चैनलों को कुछ न कुछ फायदा हुआ है। आज तक को 0.8 अंकों का नुकसान हुआ है।
इस हफ्ते की रेटिंग इस प्रकार है--
आज तक- 18.0 (गिरा 0.8), इंडिया टीवी- 16.8 (चढ़ा 0.1), स्टार न्यूज- 14.2 (चढ़ा 0.4), जी न्यूज- 11.3 (चढ़ा 0.1), आईबीएन7- 9.5 (चढ़ा 0.7), एनडीटीवी इंडिया- 8.5 (चढ़ा 0.2), न्यूज24 - 6.1 (चढ़ा 0.5), समय- 4.7 (गिरा 0.3), तेज- 3.8 (चढ़ा 0.1), डीडी न्यूज- 3.6 (गिरा 1.0), लाइव इंडिया- 2.4 (चढ़ा 0.3), इंडिया न्यूज- 1.0 (गिरा 0.3)
सप्ताह 45वां, 1 नवंबर से 7 नवंबर 09 तक : यह हफ्ता अपेक्षाकृत शांत है। न्यूज24 की बढ़त जारी है। बहुत दिनों बाद इस चैनल का मार्केट शेयर 6.1 फीसदी तक पहुंच गया है। इस हफ्ते सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है डीडी न्यूज ने। उसे पूरे एक फीसदी का नुकसान पहुंचा है और वह तेज से पीछे हो गया है। सर्वाधिक फायदे में आईबीएन7 रहा है। इस चैनल को 0.7 अंकों का फायदा पहुंचा है और उसकी टीआरपी 9.5 हो गई है। आज तक को छोड़कर उसके बाद के क्रमशः छह न्यूज चैनलों को कुछ न कुछ फायदा हुआ है। आज तक को 0.8 अंकों का नुकसान हुआ है।
इस हफ्ते की रेटिंग इस प्रकार है--
आज तक- 18.0 (गिरा 0.8), इंडिया टीवी- 16.8 (चढ़ा 0.1), स्टार न्यूज- 14.2 (चढ़ा 0.4), जी न्यूज- 11.3 (चढ़ा 0.1), आईबीएन7- 9.5 (चढ़ा 0.7), एनडीटीवी इंडिया- 8.5 (चढ़ा 0.2), न्यूज24 - 6.1 (चढ़ा 0.5), समय- 4.7 (गिरा 0.3), तेज- 3.8 (चढ़ा 0.1), डीडी न्यूज- 3.6 (गिरा 1.0), लाइव इंडिया- 2.4 (चढ़ा 0.3), इंडिया न्यूज- 1.0 (गिरा 0.3)
नितिन शर्मा (news with us)
साभार: bhadas4media

कैमरामैन के बच्चे को फोर्टिस ने बंधक बनाया

इलाज में खर्च पूरे पैसे देने पर ही बच्चे को देने की धमकी : प्रकाश रावत स्पेश टीवी के कैमरामैन हैं। इससे पहले जी ग्रुप के सिटी केबल में और आजाद न्यूज में बतौर कैमरामैन काम कर चुके हैं। प्रकाश के बच्चे की उम्र सात साल है। डेंगू की महामारी के इस दौर में प्रकाश का बच्चा भी इसकी चपेट में आ गया। डाक्टरों ने बच्चे को वेंटिलेटर पर रखने को कहा और डेंगू का इलाज गंभीरता से कराने की सलाह दी। प्रकाश अपने बच्चे को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के कई अस्पतालों में गए पर वहां पहले से ही डेंगू के इतने मरीज थे कि प्रकाश के बच्चे को आईसीयू में जगह नहीं मिली। बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही थी और डाक्टरों ने उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखने को कहा। थक-हार कर प्रकाश को अपने बच्चे को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
यह अस्पताल है दिल्ली के वसंतकुंज स्थित फोर्टिस। बच्चे को बचा लिया गया पर अस्पताल ने जब प्रकाश के सामने एक लाख अस्सी हजार रुपये का बिल रखा तो उनके होश उड़ गए। प्रकाश पचपन हजार रुपये की व्यवस्था कर पाए और उसे फोर्टिस में जमा करा दिया। साथ ही अनुरोध किया कि वे गरीब आदमी हैं, उनके पास और पैसे नहीं हैं, इसलिए उनके बच्चे को दे दिया जाए। पर फोर्टिस वाले अड़ गए। उन लोगों ने कहा कि वे बच्चे को तब तक नहीं देंगे जब तक उन्हें पूरा पैसा नहीं मिल जाता। फोर्टिस के लोगों ने बच्चे को डिस्चार्ज कर अपने पास रख लिया और पैसे न देने पर मेरे पर केस करने की धमकी दे रहे हैं। प्रकाश मीडिया के अपने करीबी मित्रों व जानने वालों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। उनके एक परिचित पत्रकार ने उन्हें दिल्ली के शहरी विकास राज्य मंत्री से मिलवाने का आश्वासन दिया है जिनकी आज प्रेस कांफ्रेंस हैं। अगर प्रकाश की आप कोई मदद करना चाहते हैं तो उन्हें 9718974111 पर फोन कर सकते हैं। ध्यान रहे, फोन सिर्फ संवेदना जताने या हमदर्दी दिखाने के लिए न करें क्योंकि प्रकाश पैसे जुटाने के लिए भागदौड़ में व्यस्त हैं। फोन तभी करें जब आप उनकी कोई आर्थिक मदद करना चाहते हैं।
प्रकाश मीडिया के व्यक्ति हैं, इसलिए उनकी यह आवाज आज यहां उठ भी पा रही है और मीडिया के लोग उनकी मदद करने के लिए आगे भी आ सकते हैं। वे मीडिया के प्रभाव के जरिए अपने बच्चे को अपने साथ घर लाने में कामयाब भी हो सकते हैं पर कल्पना कीजिए, दिल्ली के किसी अन्य गरीब व्यक्ति, जो दुकान करता हो या ठेला लगाता हो, के बच्चे की यही दशा होती तो वह मदद मांगने के लिए कहां जाता, कौन उसकी बात सुनता। और, ऐसा हो भी रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के बड़े पैमाने पर हो रहे बाजारीकरण से आने वाले दिनों में आम व्यक्ति के बच्चों का पढ़ पाना और इलाज करा पाना बेहद मुश्किल होता जाएगा। जो पैसे वाले होंगे, वही बेहतर जिंदगी जीने के अधिकारी होंगे। जिसके पास पैसा नहीं होगा, वह सभी दुर्दशाओं को प्राप्त होगा। और यह सब होगा लोकतंत्र के नाम पर जहां हर ओर अब लूट तंत्र दिख रहा है। पैसे वालों के लिए बनती जा रही इस व्यवस्था में अब हर आदमी भय या मजबूरी वश पैसे कमाने के लिए हर तिकड़म लगाने पर मजबूर हो रहा है। प्रकाश के बहाने मीडिया के हम सभी लोगों को यह खुद से पूछने की जरूरत है कि जिन सरकारों को हम लोग अपनी समीक्षा, आलोचना और खोजपूर्ण रपटों के दायरे से बाहर सिर्फ इसलिए रखे हुए हैं कि उन सरकारों के जरिए मीडिया के मालिकों को अच्छा-खासा बिजनेस मिल जाता है, उन सरकारों को आम जनता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए अब क्या किया जाना चाहिए?
नितिन शर्मा
साभार : bhadas4media

Saturday, November 7, 2009

170 पर सिमटी टीम इंडिया

गुवाहाटी। गुवाहटी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले जा रहे छठे वनडे में भारत का प्रदर्शन फीका रहा। टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज सस्ते में पैवेलियन लौट गए। हालांकि निचले क्रम के बल्लेबाजों ने राहत दिलाते हुए स्कोर का कुछ सम्मानजनक स्थिति पहुंचाया। कंगारूओं की घातक गेंदबाजी के सामने टीम इंडिया के खिलाडी पूरे ओवर भी नहीं खेले पाए और 48 ओवर में 170 रन बनाकर पूरी टीम आउट हो गई। ऑस्टे्रेलिया को जीत के लिए 171 रन की जरूरत है।
करो या मरो वाले इस मैच में टीम इंडिया के कप्तान मेहन्द्र सिंह धोनी ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। पिछले मैच में संैकडा ठोकने वाले सचिन सहित सभी धुंरधर खिलाडी तू चल मैं आया की तर्ज पर पैवेलियन लौट गए। हालांकि सहवाग ने मिचेल जॉनसन के पहले ओवर में छक्का लगाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे, लेकिन छक्का लगाने के बाद ही वह अगली गेंद पर बोल्ड हो गए। सहवाग की जगह खेलने आए गौतम गंभीर भी दो गेंदों का सामना कर सके और जॉनसन की गेंद पर बिना खाता खोले पैवेलियन लौट गए।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी कुछ खास नहीं कर सके और मात्र दस रन बनाकर डी. बॉलींगर ने उन्हें अपनी ही गेंद पर लपक लिया। बोलींगर ने ही युवराज सिंह को 6 रन के निजी स्कोर पर बोल्ड कर भारत को चौथा झटका दिया। पांचवा विकेट सुरेश रैना के रूप में गिरा। जॉनसन ने उन्हें खाता खोलने का भी मौका नहीं दिया। धोनी ने रविन्द्र जडेजा के साथ मिलकर इस क्रम को तोडने की कोशिश लेकिन जल्द ही आउट हो गए। इसके बाद खेलने आए हरभजन सिंह भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए और चार रन बनाकर आउट हो गए।
अपनी पिछली छह द्विपक्षीय शृंखलाओं की जीत को बरकरार रखने के लिए भारत के लिए यह मैच जीतना जरूरी है ताकि वह सातवें मैच में अंतिम फैसले के लिए उतर सके। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने चोटों की समस्या से जूझने के बावजूद महेंद्र सिंह धोनी की टीम को कडी टक्कर दी है।
कंगारू टीम भले ही अपने आधे से अघिक नियमित खिलाडियों को गंवाने के बाद कमजोर हुई हो, लेकिन पिछले दो मैचों में करीबी जीत के बाद मेहमान टीम आत्मविश्वास से भरी है। काफी दबाव होने के कारण टीम इंडिया के लिए जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा।
नितिन शर्मा (news with us)

अजब प्रेम की गजब कहानी

ठेठ भारतीय हिंदी फिल्म की तरह "अजब प्रेम की गजब कहानी" में हर वो मसाला मौजूद है, जो एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में होना चाहिए। सवाल ये है कि क्या नया है, जिसे देखने के लिए टिकट खिडकी पर दर्शकों का मजमा लग रहा हैं। इसका जवाब हैं प्रेम यानी रणबीर कपूर की अजब-गजब जादूगरी। एक अभिनेता के तौर पर वो हर किरदार के साथ परिपक्व होते नजर आ रहे हैं और उनके लिए युवाओं खासकर महिलावर्ग में दीवानगी टिकट खिडकी पर भीड का बंदोबस्त हर हाल में करेगी। केंद्रीय पात्र प्रेम के किरदार को सफलता से जीने वाले रणबीर का साथ देने में कैटरीना सफल हुई हैं।दोनों के बीच की ऑन स्क्रीन कैमेस्ट्री ने फिल्म को दर्शकों के लिए मनोरंजक बना दिया हैं। लंबे समय बाद निर्देशक राजकुमार संतोषी ने कॉमेडी में हाथ आजमाये हैं। एक दशक से भी पहले उन्होंने आमिर खान और सलमान खान को साथ लेकर "अंदाज अपना अपना" बनाई थीं। बॉक्स ऑफिस और आलोचकों की अच्छी प्रतिक्रिया के बाद भी न तो आमिर और सलमान ही आज तक एक साथ आए है और न ही संतोषी ने फिर कोई कॉमेडी फिल्म ही बनाई। लेकिन इसकी सारी कसर उन्होंने "अजब प्रेम की गजब कहानी" के माध्यम से निकाल दी हैं। रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ की प्रमुख भूमिकाओं वाली "अजब प्रेम की गजब कहानी" में साफ-सुथरी कॉमेडी के साथ म्यूजिक और लीड कलाकारों के शानदार परफॉर्मेस का ऎसा अनोखा मेल हैं, जो बॉलीवुड में लंबे समय बाद देखने को मिला हैं। फिल्म की कहानी प्रेम (रणबीर कपूर) के आसपास घूमती हैं जो एक मस्तमौला जवान हैं और अपने कलंदर दोस्तों के साथ ऊटी में एक हैप्पी क्लब नाम का गु्रप चलाता हैं, प्रेम इस क्लब का स्वघोषित प्रेजिडेंट हैं और इस क्लब का काम है मुसीबत में फसे प्रेमियों की मदद करना। इसी सिलसिले में वो अपने दोस्त के लिए एक लडकी को उठा कर उनकी शादी करा देता हैं। प्रेम और उसके गैंग को ये सब करते देख जेनी(कैटरीना कैफ) उन्हें किडनैपिंग गैंग समझ बैठती हैं। जेनी के पिता प्रेम के ही दिलाये हुए फ्लैट में रहते हैं। प्रेम जेनी से मन ही मन प्यार कर बैठता हैं पर कुछ कह नहीं पाता। लेकिन जेनी के दिल में तो राहुल (उपेन पटेल)बसा हुआ हैं। राहुल के माता-पिता अपने बेटे और जेनी की शादी के खिलाफ हैं। इस मामले में सच्चा प्रेमी बन प्रेम, जेनी और राहुल की मदद करता हैं। थोडे नाटकीय दृश्य घटते हैं, कुछ हंगामा होता हैं और जेनी, प्रेम की हो जाती हैं। फिल्म अपनी मूल रेखा हास्य से नहीं भटकी हैं। और फिल्म में टि्वस्ट भी हैं। रणबीर और कैटरीना हमेशा की तरह आकषाक नजर आए हैं। जाहिर तौर से फिल्म देखने के बाद युवाओं में फैशन की नई लहर चलेगी, क्योंकि कास्ट्यूम स्टाईलिस्ट श्यामली अरोडा ने जिन परिधानों को पेश किया है, वो फैशनेबल भी हैं और आरामदेह भी। इरशाद कामिल के गीतों का समझना आसान है और ये अपना मतलब भी रखते हैं। कोरियोग्राफर अहमद खान को रणबीर के साथ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पडी, क्योंकि एक डांसर के तौर पर रणबीर में प्रतिभा नैसर्गिक है और पर्दे पर दिखाई देने वाले गीतों में रणबीर ने कैटरीना को कमर हिलाने भर की ही जगह दी हैं। बाकी स्पेस खुद हथिया लिए। अच्छी बात यह है कि फिल्म में कहीं भी अश्लील हावभाव और संवादों का इस्तेमाल नहीं किया गया हैं और पूरी फैमिली एक साथ बैठकर इसे देख सकते हैं। अभिनय के मामले में "अजब प्रेम की गजब कहानी" पूरी तरह से रणबीर कपूर की फिल्म हैं और ताज्जूब की बात है कि "वेक अप सिड" के बाद उन्होंने एक बार फिर अपने एक्टिंग स्किल्स का भरपूर मुजायरा किया है और खासे सफल भी रहे हैं। पर्दे पर पहली बार पूरी तरह कॉमेडी रोल में उतरे रणबीर ने जिस विश्वास और समझदारी से इस किरदार को निभाया है, वो वास्तव में काबिले तारीफ हैं। उनके कॉमिक टाइमिंग की जितनी भी प्रशंसा की जाये, वो कम हैं। इस फिल्म के बाद यदि उन्हें लोग अगला सुपरस्टार मानने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं। इसके अलावा कैटरीना ने भी पहली बार कॉमेडी करते हुए अच्छी अदाकारी दिखाई हैं। हमेशा की तरह फिल्म में उनकी खूबसूरती देखते ही बनती हैं और रणबीर के साथ उनकी केमिस्ट्री भी लाजवाब हैं। बाकि सभी चरित्र कलाकारों ने भी पूरी ईमानदारी और लगन से अपनी भूमिका निभा कर फिल्म में पूरी तरह से योगदान दिया हैं। दर्शन जरीवाला, स्मिता जयकर, गोविंद नामदेव आदि ने अच्छा अभिनय किया हैं।साजीद डॉन के किरदार में जाकिर हुसैन फिट नहीं बैठते। उपेन पटेल ठीक ठाक हैं। रणबीर के हैप्पी क्लब के मेम्बर्स का किरदार करने वाले अभिनेताओं को अच्छे खासे दृश्य और संवाद मिले हैं और उन्होने उसमें चार-चांद लगा दिए हैं। फिल्म का चित्रांकन उत्तम दर्ज का है और निर्माण की क्वॉलिटी को दर्शाता हैं, कैरिकेचर स्टाइल रहने के कारण राजकुमार संतोषी ने स्पेशल इफेक्ट्स का खुले दिल से उपयोग किया हैं। प्रीतम का संगीत जबरदस्त है और फिट हैं। सभी गाने फिल्म के मूड को ध्यान में रखकर लिखे गए है और अपना असर छोडने में सफल दिखते हैं। अगर तीन घंटे का समय है तो हंसी और प्रेम में गुथी ये अजब-गजब कहानी देखने में हर्ज नहीं हैं।
साभार : google news
नितिन शर्मा (news with us)

रामदेव के शिविर में न जाएं मुस्लिम’

मुजफ्फरनगर. दारूल उलूम ने शनिवार को फतवा जारी कर मुस्लिमों से योगगुरू बाबा रामदेव के शिविर में जाने से परहेज करने को कहा है। कहा गया है कि बाबा के योग शिविर राष्ट्र गीत वंदे मातरम के गायन के साथ शुरू होते हैं जो कि गैर इस्लामी है। यह संस्था पहले ही वंदे मातरम को इस्लाम विरोधी करार देते हुए फतवा जारी कर चुकी है। दारूल उलूम के फतवा विभाग के उपप्रभारी मुफ्ती एहसान काजमी ने कहा, ‘वंदेमारतम प्रार्थना है और इस्लामी कानून के विरुद्ध है। इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की प्रार्थना नहीं की जाती है। इसलिए मुस्लिमों को वंदेमातरम नहीं गाना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि व्यायाम के तौर पर योग किया जा सकता है। देवबंद में चार दिन पहले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की 30वीं महासभा में मुस्लिम उलेमाओं के बीच बाबा रामदेव ने प्राणायाम करके दिखाया था और हिंदू पुजारी द्वारा वैदिक श्लोक का पाठ किया गया था। बाद में, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने वंदेमारतम को ‘गैर-इस्लामी’ बताते हुए मुस्लिमों को इसे न गाने का प्रस्ताव पारित किया था।मुजफ्फरनगर. दारूल उलूम ने शनिवार को फतवा जारी कर मुस्लिमों से योगगुरू बाबा रामदेव के शिविर में जाने से परहेज करने को कहा है। कहा गया है कि बाबा के योग शिविर राष्ट्र गीत वंदे मातरम के गायन के साथ शुरू होते हैं जो कि गैर इस्लामी है। यह संस्था पहले ही वंदे मातरम को इस्लाम विरोधी करार देते हुए फतवा जारी कर चुकी है। दारूल उलूम के फतवा विभाग के उपप्रभारी मुफ्ती एहसान काजमी ने कहा, ‘वंदेमारतम प्रार्थना है और इस्लामी कानून के विरुद्ध है। इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी की प्रार्थना नहीं की जाती है। इसलिए मुस्लिमों को वंदेमातरम नहीं गाना चाहिए।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि व्यायाम के तौर पर योग किया जा सकता है। देवबंद में चार दिन पहले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की 30वीं महासभा में मुस्लिम उलेमाओं के बीच बाबा रामदेव ने प्राणायाम करके दिखाया था और हिंदू पुजारी द्वारा वैदिक श्लोक का पाठ किया गया था। बाद में, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने वंदेमारतम को ‘गैर-इस्लामी’ बताते हुए मुस्लिमों को इसे न गाने का प्रस्ताव पारित किया था।
नितिन शर्मा (news with us)

अमेरिका: गोलीबारी करने वाला आर्मी डॉक्टर कोमा में

अमेरिका के एक प्रमुख रक्षा ठिकाने में अंधाधुंध गोलीबारी कर 13 व्यक्तियों को मार डालने के संदिग्ध आरोपी सैन्य मनोविज्ञानी को सैन अन्तोनिया स्थित एक ट्रॉमा केंद्र ले जाया गया है।
जॉर्डन में जन्मे अमेरिकी नागरिक मेजर निदाल मलिक हसन (39 वर्ष) को शुक्रवार सान अन्टोनियो के समीप फोर्ट हुर्ड सैन्य ठिकाने में अंधाधुंध गोलीबारी करने के बाद पकड़ा गया था। गोलीबारी कर रहे हसन पर एक महिला पुलिस अधिकारी ने चार गोलियां चलाईं और फिर उसे पकड़ा गया।
यहां के कुछ अखबारों में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि वर्जीनिया में जन्मे हसन को इराक में नहीं बल्कि अफगानिस्तान में तैनात किया जाना था। उसे सैन अन्तोनियो स्थित ब्रुक मेडिकल आर्मी सेंटर लाया गया। वह कोमा में है और उसकी हालत स्थिर बताई जाती है।
हसन ने जब अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की। इसके बाद सैनिकों की जवाबी कार्रवाई में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। मेडिकल केंद्र के प्रवक्ता डेवी मिशेल ने हसन को मध्य टेक्सास के अस्पताल से ट्रामा सेंटर लाए जाने के फैसले के बारे में कुछ नहीं बताया। फोर्ट हुड अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है जहां 50,000 सैनिक, उनके 150,000 परिजन और नागरिक रहते हैं। यहां सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था है।
शुक्रवार की घटना के बाद 340 वर्ग मील में फैले इस ठिकाने में मीडिया कर्मियों का प्रवेश रोकने के लिए अतिरिक्त गार्ड तैनात कर दिए गए हैं। गोलीबारी की इस घटना से स्तब्ध और परेशान सैन्य अधिकारी पूरे घटनाक्रम के बारे में सूचनाएं एकत्र कर रहे हैं।
गोलीबारी में 12 सैनिक और रक्षा मंत्रालय का एक असैनिक अधिकारी मारा गया और करीब 30 व्यक्ति घायल हो गए। अधिकारियों को यह सवाल सबसे परेशान कर रहा है कि क्या उन्होंने चेतावनी के संकेत नजरअंदाज कर दिए। हमले के कारण का अभी पता नहीं चल पाया है। लेकिन खबरों से संकेत मिलता है कि अभिभावकों के मना करने के बावजूद हाई स्कूल के बाद सेना में शामिल हुआ हसन परेशान था। जांचकर्ताओं ने हसन के कंप्यूटर, उसके घर और उसके फालतू सामान की जांच कर पता लगाने का प्रयास किया कि उसने अपने सहकर्मी सैनिकों पर गोलीबारी क्यों की थी। हसन अभी कौमा में है। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि घायलों में से कुछ की हालत बेहद नाजुक है और शायद वे बच नहीं पाएं। वहीं हसन के एक संबंधी ने बताया कि अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद से हसन कई बार शिकायत कर चुका था कि उसके सहयोगी उसकी मजहबी पृष्ठभूमि को लेकर उसे परेशान करते हैं। हसन मुसलमान है। बताया जाता है कि वह ज्यादातर अकेला रहता था। इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाइयों पर भी उसने कड़ी आपत्ति जताई थी। प्रत्यक्ष तौर पर वह अफगानिस्तान में अपनी तैनाती नहीं चाहता था।
नितिन शर्मा (news with us)

Thursday, November 5, 2009

प्रबाश जोशी नही रहे

पत्रकारिता के ओपान में जाने माने पत्रकार प्रबाश जोशी कल रात दिल का दौरा पड़ने की वजह से अब हमारे बीच में नही रहे। जोशी जी ने पत्रकारिता में अहम् योगदान निभाया है। news with us की टीम की और से उनको हार्दिक स्राधांजलि
नितिन शर्मा (news with us)

Tuesday, November 3, 2009

महाराष्ट्र : नई सरकार बनाने की गुत्थी और उलझी

महाराष्ट्र के राज्यपाल एससी जमीर ने राज्य में नई सरकार के गठन के लिए अपनी तरफ से पहल करके राजभवन में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल दोनों को ही अलग-अलग बुलाकर उनकी राय मालूम की।हालांकि, राज्य में सत्तारूढ़ लोकतांत्रिक मोर्चा के विधानसभा चुनाव में गत 22 अक्टूबर को जीत दर्ज करने के बाद नई सरकार के गठन का रास्ता अभी तक साफ नहीं हुआ है। इस मोर्चा में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच मंत्री पद और उनके विभागों के बंटवारे को लेकर चल रही रस्साकसी के बीच नई सरकार के गठन में गतिरोध बना हुआ है।राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष आरआर पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस को नई सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन देने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा विधायक दल के नेता भुजबल ने पार्टी के इस निर्णय से राज्यपाल को मौखिक रूप से बता दिया है।लेकिन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने राकांपा की इस पेशकश को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि राकांपा को सरकार के गठन की प्रक्रिया से बाहर रहने के बारे में बोलने से पहले 'जमीनी वास्तविकताओं' का पता लगा लेना चाहिए।दूसरी ओर, नई सरकार के गठन में हो रहे असामान्य विलम्ब के मद्देनजर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अपनी मांग पर जोर देने के लिए विपक्षी शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राजभवन जाकर राज्यपाल से मिलेगा।महाराष्ट्र के राज्यपाल एससी जमीर ने राज्य में नई सरकार के गठन के लिए अपनी तरफ से पहल करके राजभवन में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल दोनों को ही अलग-अलग बुलाकर उनकी राय मालूम की।हालांकि, राज्य में सत्तारूढ़ लोकतांत्रिक मोर्चा के विधानसभा चुनाव में गत 22 अक्टूबर को जीत दर्ज करने के बाद नई सरकार के गठन का रास्ता अभी तक साफ नहीं हुआ है। इस मोर्चा में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच मंत्री पद और उनके विभागों के बंटवारे को लेकर चल रही रस्साकसी के बीच नई सरकार के गठन में गतिरोध बना हुआ है।राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष आरआर पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस को नई सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन देने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा विधायक दल के नेता भुजबल ने पार्टी के इस निर्णय से राज्यपाल को मौखिक रूप से बता दिया है।लेकिन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने राकांपा की इस पेशकश को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि राकांपा को सरकार के गठन की प्रक्रिया से बाहर रहने के बारे में बोलने से पहले 'जमीनी वास्तविकताओं' का पता लगा लेना चाहिए।दूसरी ओर, नई सरकार के गठन में हो रहे असामान्य विलम्ब के मद्देनजर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अपनी मांग पर जोर देने के लिए विपक्षी शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राजभवन जाकर राज्यपाल से मिलेगा।
nitin sharma (news with us)

Sunday, November 1, 2009

नही बुझी आग

जयपुर के सीतापुर औद्योगिक इलाके में इंडियन ऑयल कारपोरेशन [आईओसी] टर्मिनल के एक किलोमीटर दायरे को छोड़कर शेष क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं, लेकिन जिला प्रशासन लगातार पांचवें दिन भी आग को काबू में लाने में सफल नहीं रहा।
जिलाधिकारी कुलदीप रांका के अनुसार हालात की समीक्षा करने के बाद आईओसी टर्मिनल से एक किलोमीटर के दायरे को छोड़कर शेष सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों के कामकाज के लिए प्रबंधकों को जाने की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाई प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि एहतियात के लिए बिजली लाइनों एवं भवनों की जांच के बाद ही कामकाज शुरू करें और फिलहाल भारी मशीनरी का उपयोग नहीं किया जाए।
रांका ने कहा कि सीतापुर क्षेत्र में शुक्रवार से बंद स्कूल और जयपुर-सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात फिर से शुरू करने का निर्णय सोमवार शाम स्थिति की समीक्षा के बाद किया जाएगा। जिलाधिकारी के अनुसार आईओसी टर्मिनल में रविवार देर रात जिन तीन टैंकों में आग धधक रही है उनके ढक्कन तेज आवाज के साथ फटने से नजदीक ही रखे ऑयल के ड्रमों में आग लग गई, लेकिन उन पर जल्द ही काबू पा लिया गया। उन्होंने कहा कि आग कब बुझेगी इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के निर्देश पर हादसे की जांच के लिए गठित कमिटी के अध्यक्ष बी लाल सोमवार को जयपुर पहुंचकर मामले की जांच शुरू करेंगे। उत्तर पश्चिम रेलवे के सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद ही जयपुर-सवाई माधोपुर रेल मार्ग पर यातायात बहाल किया जाएगा। इस मार्ग से आने-जाने वाली गाड़ियां परिवर्तित मार्ग से चल रही हैं। दिल्ली, मुंबई एवं मथुरा रिफाइनरी से आए विशेषज्ञ और सेना के जवान बचाव कार्य में जिला प्रशासन की मदद कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आईओसी टर्मिनल में गुरुवार की शाम 11 टैंकों में आग लगने से अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

नितिन शर्मा (news with us)