Monday, June 7, 2010

भोपाल के हत्यारों को सजा, जुर्माना लगाया

भोपाल. भोपाल गैस त्रासदी मामले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मोहन पी. तिवारी ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष केशव महेन्द्रा समेत 7 आरोपियों को आज दो-दो वर्ष के कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई। कोर्ट ने केशव महेन्द्र के अलावा यूसीआईएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक विजय गोखले, किशोर कामदार, जे मुकंद, एस पी चौधरी,के बी शेट्टी और कारखाने के सुपरवाइजर एस आई कुरैशी को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। आठवें आरोपी यूसीआईएल पर पांच लाख रूपए का जुर्माना (धारा 304ए के तहत) लगाया गया है।
कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को धारा 304 ए के तहत एक-एक लाख रूपए का जुर्माना भी सुनाया है। इसके अलावा धारा 338 के तहत दो-दो साल का कारावास और एक-एक हजार रूपए का अर्थदंड़ सुनाया। कोर्ट के बाहर तनाव ही तनावसुबह से ही भोपाल जिला कोर्ट में लोगों की भीड़ जमा होनी शुरु हो गई थी, जिसे रोकने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया था, साथ में पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई थी। मीडिया व पीड़ित परिवार को कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं थी। जिसके कारण कई बार मीडिया, पीड़ित और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं, जिसके चलते कोर्ट में तनाव का माहौल बन गया था। * ‘हमारी कानूनी व्‍यवस्‍था पर सवाल है यह फैसला’सीबीआई ने 12 को बनाया है आरोपीसीबीआई ने भोपाल गैस कांड मामले में यूनियन कार्बाइड कॉपरेरेशन के तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन समेत 12 को आरोपी बनाया है। एंडरसन फरार है। दुनिया की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी से संबंधित इस मामले में सुनवाई 23 साल चली और इसी साल13 मई को पूरी हो गई थी।मौत का खौफनाक मंजर झेल चुके फरियादी शहर ने इंसाफ के लिए 25 साल इंतजार में गुजार दिए। इसके जख्म पर समय की परत चढ़ चुकी है, लेकिन घाव अंदर कहीं जिंदा हैं। उदासीन और संवेदनहीन राजनीति झेलने वाले लोगों की निगाहें अदालत पर टिकी हैं। त्रासदी में 15 हजार से ज्यादा जान गंवा चुके हैं।2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मिक नामक गैस के रिसाव ने भोपाल में मौत का तांडव मचा दिया था। घटना की रात हनुमानगंज थाने में दर्ज एफआईआर में कार्बाइड फैक्टरी में हुई लापरवाही के मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। हादसे के तीन साल बाद ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सहमति से यह मामला सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई ने 30 नवंबर 1987 को वारेन एंडरसन सहित 12 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। वर्ष 1989 में पीड़ितों ने मुआवजे के लिए मामले अदालत में लगाए। बाद में इनकी ओर से केंद्र सरकार ने मुआवजे के लिए मुकदमा अमेरिका की कोर्ट में लगाया।वहां यूनियन कार्बाइड कापरेरेशन की ओर से आपत्ति पेश की गई कि यह मामला अमेरिका कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। केंद्र सरकार ने मामले वापस लेकर भोपाल में सिविल सूट लगाया। तत्कालीन जिला न्यायाधीश एम डब्ल्यू देव ने अंतरिम मुआवजे के तौर पर 710 करोड़ रुपए के भुगतान का आदेश दिया। कार्बाइड की ओर से इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां से राशि कुछ कम हो गई। सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम आदेश पर सुनवाई के दौरान 14 फरवरी 1989 को दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया। समझौते में तय हुआ कि यूनियन कार्बाइड कापरेरेशन अमेरिका और यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड समझौता राशि का भुगतान करेगी और इसके बाद गैस त्रासदी से जुड़े सभी सिविल और आपराधिक प्रकरण खत्म हो जाएंगे। कार्बाइड की ओर से समझौता राशि का भुगतान कर दिया गया और सभी केस खत्म हो गए। रिव्यू पिटीशन : इसके बाद कुछ संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक रिव्यू पिटीशन लगाकर मांग की गई कि आपराधिक प्रकरण खत्म नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 1991 को कहा कि आपराधिक प्रकरण चलेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजधानी के तत्कालीन नवम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वजाहत अली शाह की कोर्ट ने आरोप तय किए। आरोपियों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपियों के खिलाफ 304 ए में मामला चलाया जाए। सही मायनों में गैस त्रासदी मामले की सुनवाई वर्ष 1996 में ही शुरू हुई। आज भी फैक्टरी में है मौत का सामान:भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार कहते है कि प्रदेश सरकार द्वारा लीज डीड निरस्त होने के बाद 19 जुलाई 1998 को कार्बाइड प्रबंधन भोपाल स्थित 67 एकड़ में फैक्टरी में फैले हुए 18 हजार मैट्रिक टन टाकसिक सिल्ट और अन्य केमिकल छोड़कर चला गया। घटना के तीन साल पहले 25 दिसंबर 1981 को कार्बाइड फैक्टरी में काम करने वाले अशरफ लाला नाम के एक फिटर की फास्जीन गैस रिसाव के कारण मौत हो गई थी। 1982 में वेस्ट वर्जीनिया से एक टीम आई थी, जिसने कार्बाइड फैक्टरी का मुआयना कर 32 खामियां पाई थी। एमआईसी प्लांट, जहां से गैस का रिसाव हुआ था, वहां 16 खमियां मिली थीं।कितनी जानें गईंसुप्रीम कोर्ट में मुआवजा राशि लेते समय जो समझौता किया गया, उसके मुताबिक मृतक तीन हजार और प्रभावित एक लाख दो हजार बताई गई। इन्हीं आंकड़ों को आधार मानते हुए 470 मिलियन डालर यानी 715 करोड़ रुपए में समझौता हुआ। इधर 2004 में गैस वेलफेयर कमिश्नर ने जिन गैस पीड़ितों के मुआवजा मामलों का निराकरण कर राशि वितरित की, उसमें मृतक 15 हजार 274 और प्रभावित 5 लाख 74 हजार तय हुआ। गैस रिसने के पहले हफ्ते में आए सरकारी आंकड़ों में मरने वालों का आंकड़ा 260 बताया गया, जबकि गैर सरकारी आंकड़ों में यह आंकड़ा आठ हजार पहुंच गया था। खास बातें23 साल तक चली सुनवाई2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को मचा था शहर में मौत का तांडवतीन दिन बाद केंद्र सरकार ने मामला सीबीआई को सौंपा। 30 नवंबर 1987 को चालान पेश हुआ। एंडरसन समेत कुल 12 आरोपी।भोपाल पहुंचे केशव महेंद्रा समेत अन्य आरोपीगैस त्रासदी मामले के आरोपी केशव महेंद्रा और विजय गोखले रविवार देर शाम मुंबई से भोपाल पहुंचे। आरोपी एसपी चौधरी, किशोर कामदार रविवार सुबह ही आ गए थे। श्री चौधरी मित्र के यहां मालवीय नगर में और कामदार एक होटल में रुके हैं। इनके अलावा जे मुकुंद, केवी शेट्टी भोपाल पहुंच गए है। हालांकि एसआई कुरैशी के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है।

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