भारत और भारतीयों ने पश्चिम की रह पैर चलना तो चालू कर दिया है लेकिन आज भी भारतीय संस्कृति का हवाला देकर कुछ ऐसे फैसले नही ले पा रहे है जो हमारे समाज की बुरियो को साफ़ कर सके। एक ऐसा ही मुद्दा है वेश्यावृति का।हमरे समाज में आज भी वेश्यावृति और इस काम से जुड़े लोगो को हीन निगाहों से देखा जाता है। इस काम को पाप समझा जाता है और करने वालो को पापी। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है की ये पापी हमारे समाज में इक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। हो सकता है आप इस बात से सहमत नही हो , लेकिन इसेदुसरे मुद्दे से जोड़कर देखेंगे तो लगेगा की शायद ये पापी, पापी नही है। ये समाज में रह रहे उन पापियो को रोक सकते है जो अपनी हवस मिटने के लियें रिश्तो की बलि तक चढा देते है। हमारे देश में बलात्कार की घटनाए लगातार बढरही है। यहाँ तक की आयेदिन सुनने को मिलता है की कलयुगी बाप ने अपनी बेटी, या फ़िर चाचाने भतीजी को अपनी हवस का शिकार बनाया। ये घटनाये बढतीही जा रही है। जबकि पश्चिमी देशो में इस तरह की घटनाए कम ही सुनने को मिलती है। इसका सबसे बड़ा कारन वहाँ पर वेश्यावृति को मिली हुए कानूनी मान्यता है।लेकिन हमरे देश में इस काम को संस्कृति के ख़िलाफ़ समझा जाता है। तो में ये पूछना कहता हूँ की क्या सम्लेंगिको को मान्यता देना हमारी संस्कृति के पक्ष में है। क्या सम्लेंगिक समाज में अपना कोई योगदान से सकते है? नही क्यूंकि सम्लेंगिक लोग मनोरोगी होते है। जब विदेसी तर्ज पर इसे मान्यता दे सकते है तो वेश्यावृति को क्यूँ नही? जबकि वेस्याव्रती को मान्यता मिलने से बलात्कार के मामले कम हो सके है। अगर वेश्यावृति को कानूनी मान्यता मिल जाती है तो समाज के वो पापी जो इज्जत का चोला पहनकर रह रहे है और अपनी हवस को मिटने के लियें ये चोला उतारकर किसी की माँ बहिन यहाँ तक की अपनी ही माँ बेटी को हवस का शिकार बना देते है। ये पापी हो सकता है की वेश्यावृति को मान्यता मिलने के बाद वेश्यागमन करे जिससे किसी लड़की की आबरू तार तार होने से बच जाए। आज इस काम को कानूनी मान्यता नही होने से इस काम पर लिप्त महिलाये चोरी छुपे ये काम कर रही है। वहीं समाज के दुसरे पापी भी पुलिस के डर या इनके आसानी से न मिल पाने के कारन इन महिलाओ के पास नही पहुँच पते है जिससे की ये लोग अपनी हवस का शिकार आयेदिन ही किसी को भी बना रहे है। अगर लोग और समाज ये सोचता है की वेश्यावृति सामाजिक बुराई है और ये समाज को बुरा कर रही है और कर देगी तो ये बात भी सच है की बलात्कार इससे भी बड़ी बुराई है और ये समाज को ही नही उन बेचारी लड़कियों की जिन्दगी भी ख़राब कर रही हैजो इसका शिकार हो रही है। गर ये डर है की इससे हमारे बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ेगा तो ये सोचे की क्या हमने हमारे बच्चो की परवरिश में कोई कमी छोड़ी है जो वो वेश्यागमन का काम करेंगे। जी नही यहाँ कहना कहूँगा की अगर वेश्यावृति को मान्यता मिलती भी है तो इसका कोई भी बुरा असर हमारे समाज पर नही पड़ेगा। उल्टा ये बलात्कार जैसे कुकृत्य को रोकने में काफी हद तक सफल हो सकता है।मान्यता मिलने पर हर वेश्यावृति करने वाली महिलाओ या इससे जुड़े लोगो को एक लाइसेंस मिलना चाहिये और इनकी पुरी जानकारी इलाके के पुलिस थानों में होनी चाहियें। खेर यह सम्भव हो सकता है या नही इस बारे में इतना ही कहना कहूँगा की अगर हमे समाज में अच्छे बदलाव लाने है तो कुछ काम हमें संस्कृति से विपरीत भी करने पड़ेंगे.सुनने में अजीब है और शायद आप असहमत भी हो लेकिन यह बात है सौ प्रतिशत सच। मुद्दा ये नही है की वेश्यावृति समाज के लियें सही है या नही मुद्दा ये है की वेश्यावृति बलात्कार की घटनाओ को कम कर सकती है या नही। इस बारे में सभी को एक मत होकर सोचना पड़ेगा।
नितिन शर्मा (न्यूज़ widh )
U AR WRITE MAN BUT TEM ME HOW CAN I HELP I AM WANT TO HELP IN THIS MATTER FOR SOCIATY..
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