Saturday, August 22, 2009

दिल की सुने या दुनिया की

प्रेम करने वालो को सिर्फ़ प्यार ही नजर आता है। कोइ धर्म, जाती या मजहब इसके अडेनही आ सकते। लेकिन दुनिया इश्क से कोई वास्ता नही रखती, दो दीवानों की राहो मैं कांटे बिछाये जाती है। हरियाणा, राजस्थान, और उत्तेर प्रदेश में पिछले दिनों तो हद हो गई। एक ही गोत्र में शादी करने वालो को मारा गया पीटागया और उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया गया। सवाल यह है की क्या प्यार करना कोई गुनाह है। ऐसेहजारो मामले हर साल हरियाणा, उत्तेर्प्रदेश, और राजस्थान में होते है। मुज्जफरनगर में कितने ही जोडो को पेड़ से लटका कर मार दिया गया। हाल ही में रोहतक के ढरानागावं का मामला तो सबके सामने है। सोनिया और रामपाल ने पिछले दिनों शादी रचाई थी। लेकिन दोनों एक ही गोत्र के थे , लिहाज़ा पंचायत को यह शादी रास नही आई। उसने फिसला सुना दिया की सोनिया अपने गर्भ को गिरा दे और दोनों एक दुसरे को भाई बहिन माने। जब दोनों के परिवार ने इस पर एतराज़ किया तो पुरे परिवार को ही गाव से बहार करने का फरमान सुना दिया गया।
इन घटनाओ को देखर लगता है की हम क्या सभ्य समाज में जी रहे है। क्या हमारी सोच में जमाने के साथ बदलाव आया है । लगता है हरियाणा से राजस्थान तक एक खास पट्टी में आज भी अदिम्युगिन व्यवस्था लागु है। यहाँ ऊँची जातियो का बोलबाला है। और गावं का कानून उनकी की मर्जी से चलता है। इस रुदिवादी ढांचे में प्यार करना किसी गुनाह से कम नही है। यहाँ हत्या माफ़ हो सकती है, चोरी को माफ़ कर सकते है लेकिन दिलो से जुडे मामलो में ये समाज बहुत सख्त हो जाता है। वहाँ न तो समाज कोई ढील सेने को तयार है न हीनए जम्मने के साथ चलने को तैयार। आकडे वाकई चोकाने वाले है। पाचिमी उत्तेर प्रदेश के मुज्जफरनगर में हर साल ओसतन दर्जनभर ओनर किल्लिंग के मामले सामने आते है। कई मामले तो सामने ही नही आ पाते है। २००३ में ९ महीनो में यहाँ इस तरह के १३ केस हुए और २००२ में दस। हर साल कितने ही जोड़े अचानक लापता हो जाते है पता ही नही चलता। ज्यादातर देशभर में होने वाली हत्याओ में १० फीसदी इसी श्रेणी में यानि प्रेम प्रसंगों, शादी के बाद ओनर किल्लिंग के नाम पर की जाती है। लेकिन सरकार का ध्यान इस और नही जाता, इसे सामान्य अपराध की श्रेणी में रख दिया जाता है।
यूँ तो एस तरह के मामले पुरे देश में ही होते है, लेकिन राजस्थान, हरियाणा, और पाचिमी उतेर प्रदेश के वो इलाके जहाँ अब भी पंचायतो का असर है वहाँ ऐसे मामले बड़ी संख्या में सामने आते है। पंचायते यहाँ मजबूत ही नही है, बल्कि उनका एक वर्ग पर खासा असर है। इनके कामकाज में आमतोर पर प्रशासन भी तब तक दखल नही देता जब तक कानून व्यवस्था को लेकर कोई गंबीर स्तिथि पैदा नही होती। ये खाप पंचायते देश के संविधान के हिसाब से नही, बल्कि अपने ही तरीके से से संचालित होती है। ये जाती और गोत्र की पैरोकार है। भले ही इन्हे सामाजिक लोकतंत्र का नाम दे दिया जाए लेकिन इसमे गाव के बुजुर्गो का ही बोलबाला होता है। फैसले के नाम पर ये फतवे जरी करते है और मौत की सजा देते है। बहले ही हमारी फिल्मे आम आदमी को सोच बदलने में कामयाब रही हो लेकिन हरियाणा उ.पि और राजस्थान में प्यार पर आज भी कदा पहरा है। यहाँ प्यार की और कदम बढाना घातक हो सकता है।
लेकिन क्या प्यार करने वालो पर समाज का पहरा हमेशा यु ही बना रहेगा.......................

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