Friday, August 28, 2009

प्रोस्त्तितुशन को लीगल करने से हो सकती है बलात्कार की घटनाओ में कमी

भारत और भारतीयों ने पश्चिम की रह पैर चलना तो चालू कर दिया है लेकिन आज भी भारतीय संस्कृति का हवाला देकर कुछ ऐसे फैसले नही ले पा रहे है जो हमारे समाज की बुरियो को साफ़ कर सकेएक ऐसा ही मुद्दा है वेश्यावृति काहमरे समाज में आज भी वेश्यावृति और इस काम से जुड़े लोगो को हीन निगाहों से देखा जाता हैइस काम को पाप समझा जाता है और करने वालो को पापीलेकिन क्या कभी हमने सोचा है की ये पापी हमारे समाज में इक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैहो सकता है आप इस बात से सहमत नही हो , लेकिन इसेदुसरे मुद्दे से जोड़कर देखेंगे तो लगेगा की शायद ये पापी, पापी नही हैये समाज में रह रहे उन पापियो को रोक सकते है जो अपनी हवस मिटने के लियें रिश्तो की बलि तक चढा देते हैहमारे देश में बलात्कार की घटनाए लगातार बढरही हैयहाँ तक की आयेदिन सुनने को मिलता है की कलयुगी बाप ने अपनी बेटी, या फ़िर चाचाने भतीजी को अपनी हवस का शिकार बनायाये घटनाये बढतीही जा रही हैजबकि पश्चिमी देशो में इस तरह की घटनाए कम ही सुनने को मिलती हैइसका सबसे बड़ा कारन वहाँ पर वेश्यावृति को मिली हुए कानूनी मान्यता हैलेकिन हमरे देश में इस काम को संस्कृति के ख़िलाफ़ समझा जाता हैतो में ये पूछना कहता हूँ की क्या सम्लेंगिको को मान्यता देना हमारी संस्कृति के पक्ष में हैक्या सम्लेंगिक समाज में अपना कोई योगदान से सकते है? नही क्यूंकि सम्लेंगिक लोग मनोरोगी होते हैजब विदेसी तर्ज पर इसे मान्यता दे सकते है तो वेश्यावृति को क्यूँ नही? जबकि वेस्याव्रती को मान्यता मिलने से बलात्कार के मामले कम हो सके हैअगर वेश्यावृति को कानूनी मान्यता मिल जाती है तो समाज के वो पापी जो इज्जत का चोला पहनकर रह रहे है और अपनी हवस को मिटने के लियें ये चोला उतारकर किसी की माँ बहिन यहाँ तक की अपनी ही माँ बेटी को हवस का शिकार बना देते हैये पापी हो सकता है की वेश्यावृति को मान्यता मिलने के बाद वेश्यागमन करे जिससे किसी लड़की की आबरू तार तार होने से बच जाएआज इस काम को कानूनी मान्यता नही होने से इस काम पर लिप्त महिलाये चोरी छुपे ये काम कर रही हैवहीं समाज के दुसरे पापी भी पुलिस के डर या इनके आसानी से मिल पाने के कारन इन महिलाओ के पास नही पहुँच पते है जिससे की ये लोग अपनी हवस का शिकार आयेदिन ही किसी को भी बना रहे हैअगर लोग और समाज ये सोचता है की वेश्यावृति सामाजिक बुराई है और ये समाज को बुरा कर रही है और कर देगी तो ये बात भी सच है की बलात्कार इससे भी बड़ी बुराई है और ये समाज को ही नही उन बेचारी लड़कियों की जिन्दगी भी ख़राब कर रही हैजो इसका शिकार हो रही हैगर ये डर है की इससे हमारे बच्चो पर क्या प्रभाव पड़ेगा तो ये सोचे की क्या हमने हमारे बच्चो की परवरिश में कोई कमी छोड़ी है जो वो वेश्यागमन का काम करेंगेजी नही यहाँ कहना कहूँगा की अगर वेश्यावृति को मान्यता मिलती भी है तो इसका कोई भी बुरा असर हमारे समाज पर नही पड़ेगाउल्टा ये बलात्कार जैसे कुकृत्य को रोकने में काफी हद तक सफल हो सकता हैमान्यता मिलने पर हर वेश्यावृति करने वाली महिलाओ या इससे जुड़े लोगो को एक लाइसेंस मिलना चाहिये और इनकी पुरी जानकारी इलाके के पुलिस थानों में होनी चाहियेंखेर यह सम्भव हो सकता है या नही इस बारे में इतना ही कहना कहूँगा की अगर हमे समाज में अच्छे बदलाव लाने है तो कुछ काम हमें संस्कृति से विपरीत भी करने पड़ेंगे.सुनने में अजीब है और शायद आप असहमत भी हो लेकिन यह बात है सौ प्रतिशत सच। मुद्दा ये नही है की वेश्यावृति समाज के लियें सही है या नही मुद्दा ये है की वेश्यावृति बलात्कार की घटनाओ को कम कर सकती है या नहीइस बारे में सभी को एक मत होकर सोचना पड़ेगा

नितिन शर्मा (न्यूज़ widh )

फ़िर अग्निपरीक्षा का दौर

बहुत जल्द एक बार फ़िर इस बात की परीक्षा होने जा रही है की जनता वास्तव में विकास के मुद्दों को पसंद करती है या फ़िर अमूर्त भावनात्मक मुद्दों को। हरियाणा और महारास्त्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। हरियाणा विधानसभा भंग होने के बाद ही राजनितिक सरगर्मी तेज़ हो गए है। बसपा ने बहुत पहले ही भजनलाल की पार्टी के साथ समझोता करके इस राज्य में अपनी उपस्थिथि बढाने की मुहीम छेडदी थी। जाहिर है इस गठजोड़ से किसी को नुक्सान होता तो कांग्रेस को ही होता। पैर कांग्रेस को भरोसा है की हरियाणा के लोग संकीर्ण जातिगत स्वार्थो की जगह पुरे राज्य के विकास के एजेंडेका पक्ष लेने में ज्यादा रूचि दिखायेंगे। अगर फ़िर भी कुछ नुक्सान होता है तो उसकी भरपाई भाजपा और इंडियन नेशनल लोकदल के अलग हो जाने से पुरी हो जायेगी। भाजपा ने ओमप्रकाश चोटाला की पार्टी का साथ छोड़कर पुरे राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया है, पर भाजपा की जो दुर्दसा चल रही है उसे देखते हुए यह कह पाना बड़ा मुस्किल है की पार्टी पुरी ताकत के साथ इन चुनावो का सामना कर पायेगी। कार्यक्रम और दृष्टी दोनों ही स्तरों पर इस समय अगर कोई पार्टी सबसे ख़राब हालत में है तो वो है भारतीय जनता पार्टी। अब भी हिंदुत्व पार्टी का प्रमुख एजेंडा बना हुआ है। हालाँकि कुछ राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने पार्टी के इस द्रस्तिकोनसे हटकर विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। गुजरात, कर्णाटक, मध्यप्रदेश, और छातिश्गड़के मुख्यमंत्रियों को पिछले चुनावो में कांग्रेस की जीत से सबक मिला है और वो अच्छी तरह समझ गए है की लम्बी paari के लियें जनहित और विकास ही मुख्य लक्ष्य होना चाहिये। येदिउरप्पा और शिवराज चोहान ने जसवंत सिंग की पुस्तक पर पाबन्दी के मामले में अपने हाईकमानसे असहमति जताकर भी यह संकेत दिया है की अपने राज्यों की परिस्थितियों के अनुकूल फैसले लेना उन्हें अता है। हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करने के पीछे अगर यह सोच है की जनता केबीच उसकी अपने दर्शन और कार्यक्रम की गहरी पैठ है तो आज की परिस्थिति में यह अत्न्सम्मोहन के अलावा कुछ खास नही लगता। महारास्त्र में जरूर स्थितिया thodi alag है। वहाँ हो सकता है की हाल ही में मुंबई पर हुए आतंकी हमले और राज्य के नागरिको को सुरक्षा देने तथा ऐसे हमलो से निबटने में सरकार की भूमिका को मुद्दा बनाने में शिवसेना और भाजपा कामयाब हो जाए। पर इसका प्रभाव केवल मेट्रो तक ही सिमित रहेगा। सूखे ने ग्रामीणों और अर्ध्कस्बाई इलाको की प्राथमिकतायें बदल दी है। वहाँ कोई भावनात्मक हथियार काम नही आने वाला है। कांग्रेस इस बात को बखूबी समझ रही है। इसलिए केन्द्र और राज्य सरकारों ने गाँवो की पीड़ा कम करने की कोशिश तेज़ कर दी है। लोकसभा चुनावो का दबदबा कांग्रेस कायम रखने की कोसिस करेगी। दोनों ही राज्यों में युद्घ की तस्वीर जल्द ही साफ़ होने वाली है।
D.L.A NEWS (DELHI.)

Wednesday, August 26, 2009

स्वाएन फ्लू को रोकेगा नमस्कार

देश में लगातार स्वाएन फ्लू से मोतों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। अभी तक इस बीमारी से ७३ लोगो की जान जा चुकी है। लगातार लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे है। लगभग २७०० लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए है। लेकिन इस बीमारी से बचने में भारतीय संस्कृति हमारी मदद कर सकती है। और वो है नमस्कार। एच१ एन १ वायरस की रोकथाम में यह काफी प्रभावित साबित हो सकता है। एलएनजेपी हॉस्पिटल के एमएस डॉ अमित बेनर्जी का कहना है की एच१ एन १ वायरस काफी तेजी से फैलता है। इसे में हम सावधानी रखकर ही इस बीमारी से बचाव कर सकते है। उन्होंने बताया की अगर हम हाथ जोड़कर अभिवादन करे तो काफी हद्द तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। दरअसल हाथ मिलाने से यह वायरस एक से दुसरे व्यक्ति में पहुँच जाता है। सभी जानते है की यह बीमारी एक संक्रामक बीमारी है। इसलिये इस नाजुक वक्त में हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके अलावा भीड़ भाडवाले इलाको से दूर रहे। अगर किसी व्यक्ति में स्वाएन फ्लू के लक्षण दीखते है तो उससे कम से कम तीन फिट की दुरी बनाये रखे। और मास्क का उपयोग करे लेकिन ध्यान रहे की मास्क को ८ घंटे से ज्यादा उपयोग में न ले।
RITU SAXENA(D.L.A NEWS ,DELHI)

Tuesday, August 25, 2009

२९ साल में सिर्फ़ ४ को फांसी

भाजपा और उसके भगवा संघठन भले ही कांग्रेस पर संसद पर हमले के दोषी मोह्हमद अफजल गुरु को फंसी के फंदे से बचानेका आरोप लगा रहे है लेकिन आंकडो पर नजर दोडाये तो अफजल को फांसी पर लटकाने की संभावना फिलहाल नजर नही आ रही है।
१९८० के बाद अब तक फंसी की सज़ा पाए सिर्फ़ चार आरोपियो को ही फंसी पर लटकाया गया है। अन्तिम बार फंसी पर लटकाए जाने वाला धनजय चेटर्जी था, जिसे हेतल पारीख की बलात्कार व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फंसी की सजा सुनाईथी।
उसके बाद आज तक म्रत्युदंड पाए किसी भी अभियुक्त को फंसी पर नही लटकाया गया। इस दोरान करीब ६ साल तक केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार भी रही मगर उसके कार्यकाल में भी किसी सज़ा प्राप्त आरोपी को फंसी नही दी गई। यह हाल तो तब है जब भारत ने दिसम्बर में २००७ के जिनोवासम्मलेन में पेश केपिटल पनिस्मेंट यानि म्रत्युदंड न देने के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट दिया था। भारत के साथ अमेरिका और चीन भी म्रत्युदंड देने के पक्ष में थे।इंटरनेशनल लेवल पर भारत अपने यहाँ म्रत्युदंड बरकरार रखना कहता है मगर जेनेवा सम्मेलन के बाद यहाँ एक भी आरोपी को फंसी पर नही लटकाया गया। जबकि दूसरी तरफ़ अमेरिका और चीन में तब से अब तक १,१७१ और ८६४६ आरोपियो को फंसी दे दी गई है। अमेरिका में अकेले ही २००९ में ३७ लोगो को म्रत्युदंड दिया गया है। २००५ से अब तक ११ महिलाओ और २२ नाबालिगों को म्रत्युदंड दिया गया है। इसके मुकाबले भारत में २००१ से अब तक ३२९ आरोपियो को फंसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई लेकिन धनजय को छोड़कर एक को भी फंसी पर नही लटकाया गया। जानकार कहते है की इन आंकडो का एक कारणभारत और अमेरिका में म्रत्युदंड देने के तरीके में फर्क होना भी है। भारत में जहाँ फंसी में लटकाया जाता है वहीं अमेरिका में जहर का इंजेक्शन दिया जाता है। भारत में किसी को भी फांसी पर लटकाने से ही दुनिया में होहल्ला हो जाता है जबकि अमेरिका में किसी को म्रत्युदंड देने पर आवाज तक नही उठती।
( SUBRATA BHATTACHARY, D.L.A NEWS, DELHI.)

Monday, August 24, 2009

राजस्थान पत्रिका का उज्जैन मैं संस्करण शुरू

राजस्थान के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह राजस्थान पत्रिका ने मध्य प्रदेश में इंदौर और भोपाल के बाद अब उज्जैन में नया संस्करण शुरू कर दिया है। पत्रिका के उज्जैन में संस्करण शुरू होते ही इस पेपर ने उज्जैन वासियो के दिलो में जगह बना ली है। उज्जैन के वासियो ने पत्रिका का खुले दिल से स्वागत किया। लोगो का कहना है की पत्रिका के बारे में बहुत सुन रखा था जब पहली कॉपी हट मैं लेकर पड़ी तो पत्रिका कसोटी पर खरा उतरा है। पत्रिका अपनी संस्कृति, खबरों के चयन, और निष्पक्ष खबरों के प्रकाशन के चलते राजस्थान और देश के अन्य शहरो के बाद मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल में भी अपनी पहचान बना चुका है और अब उज्जैन में प्रकाशन की शुरुआत के साथ ही इसने लोगो के दिलो में जगह बना ली है।

Saturday, August 22, 2009

http://ddcserviceclub.blogspot.com

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दिल की सुने या दुनिया की

प्रेम करने वालो को सिर्फ़ प्यार ही नजर आता है। कोइ धर्म, जाती या मजहब इसके अडेनही आ सकते। लेकिन दुनिया इश्क से कोई वास्ता नही रखती, दो दीवानों की राहो मैं कांटे बिछाये जाती है। हरियाणा, राजस्थान, और उत्तेर प्रदेश में पिछले दिनों तो हद हो गई। एक ही गोत्र में शादी करने वालो को मारा गया पीटागया और उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया गया। सवाल यह है की क्या प्यार करना कोई गुनाह है। ऐसेहजारो मामले हर साल हरियाणा, उत्तेर्प्रदेश, और राजस्थान में होते है। मुज्जफरनगर में कितने ही जोडो को पेड़ से लटका कर मार दिया गया। हाल ही में रोहतक के ढरानागावं का मामला तो सबके सामने है। सोनिया और रामपाल ने पिछले दिनों शादी रचाई थी। लेकिन दोनों एक ही गोत्र के थे , लिहाज़ा पंचायत को यह शादी रास नही आई। उसने फिसला सुना दिया की सोनिया अपने गर्भ को गिरा दे और दोनों एक दुसरे को भाई बहिन माने। जब दोनों के परिवार ने इस पर एतराज़ किया तो पुरे परिवार को ही गाव से बहार करने का फरमान सुना दिया गया।
इन घटनाओ को देखर लगता है की हम क्या सभ्य समाज में जी रहे है। क्या हमारी सोच में जमाने के साथ बदलाव आया है । लगता है हरियाणा से राजस्थान तक एक खास पट्टी में आज भी अदिम्युगिन व्यवस्था लागु है। यहाँ ऊँची जातियो का बोलबाला है। और गावं का कानून उनकी की मर्जी से चलता है। इस रुदिवादी ढांचे में प्यार करना किसी गुनाह से कम नही है। यहाँ हत्या माफ़ हो सकती है, चोरी को माफ़ कर सकते है लेकिन दिलो से जुडे मामलो में ये समाज बहुत सख्त हो जाता है। वहाँ न तो समाज कोई ढील सेने को तयार है न हीनए जम्मने के साथ चलने को तैयार। आकडे वाकई चोकाने वाले है। पाचिमी उत्तेर प्रदेश के मुज्जफरनगर में हर साल ओसतन दर्जनभर ओनर किल्लिंग के मामले सामने आते है। कई मामले तो सामने ही नही आ पाते है। २००३ में ९ महीनो में यहाँ इस तरह के १३ केस हुए और २००२ में दस। हर साल कितने ही जोड़े अचानक लापता हो जाते है पता ही नही चलता। ज्यादातर देशभर में होने वाली हत्याओ में १० फीसदी इसी श्रेणी में यानि प्रेम प्रसंगों, शादी के बाद ओनर किल्लिंग के नाम पर की जाती है। लेकिन सरकार का ध्यान इस और नही जाता, इसे सामान्य अपराध की श्रेणी में रख दिया जाता है।
यूँ तो एस तरह के मामले पुरे देश में ही होते है, लेकिन राजस्थान, हरियाणा, और पाचिमी उतेर प्रदेश के वो इलाके जहाँ अब भी पंचायतो का असर है वहाँ ऐसे मामले बड़ी संख्या में सामने आते है। पंचायते यहाँ मजबूत ही नही है, बल्कि उनका एक वर्ग पर खासा असर है। इनके कामकाज में आमतोर पर प्रशासन भी तब तक दखल नही देता जब तक कानून व्यवस्था को लेकर कोई गंबीर स्तिथि पैदा नही होती। ये खाप पंचायते देश के संविधान के हिसाब से नही, बल्कि अपने ही तरीके से से संचालित होती है। ये जाती और गोत्र की पैरोकार है। भले ही इन्हे सामाजिक लोकतंत्र का नाम दे दिया जाए लेकिन इसमे गाव के बुजुर्गो का ही बोलबाला होता है। फैसले के नाम पर ये फतवे जरी करते है और मौत की सजा देते है। बहले ही हमारी फिल्मे आम आदमी को सोच बदलने में कामयाब रही हो लेकिन हरियाणा उ.पि और राजस्थान में प्यार पर आज भी कदा पहरा है। यहाँ प्यार की और कदम बढाना घातक हो सकता है।
लेकिन क्या प्यार करने वालो पर समाज का पहरा हमेशा यु ही बना रहेगा.......................

Thursday, August 20, 2009

स्वाएन फ्लू से दिल्ली में पहली मौत

स्वाएन फ्लू अपना कहर देशभर में फेलता जा रहा है। अब तक इस बीमारी के चलते ३३ लोगो की मौत हो चुकी है। गुरुवार को दिल्ली में भी इस बीमारी के चलते एक और मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार २० साल के युवक को १२ अगस्त को गुडगाव से दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती करवाया गया था। उसे लगातार टेमी फ्लू के डॉस दिए जा रहे थेलेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नही हो पाया। दो दिन पहले उसे एक हार्ट अटेकहुआ था। तमाम कोशिशो के बाद भी उसे नही बचाया जा सका। इस तरह यह युवक स्वाएन फ्लू का दिल्ली में पहला शिकार बन गया। लेकिन हो सकता है की यह फ्लू से दूसरी मौत हो। क्यूंकि, अस्पताल सूत्रों की माने तो दो दिन पहले एक युवा महिला को स्वाएन फ्लू लक्षणों के चलते भरती करवाया गया था। उसका टेस्ट भी हुआ था जिसकी रिपोर्ट नही आई है। लेकिन इस महिला की भी बुधवार को मौत हो गई थी। अभी इस मामले की पुष्टि नही हो पाई है की वह इस बीमारी से पीड़ित थी या नही। मानाजा रहा है की उसकी रिपोर्ट गुरुवार को मिलेगी। यदि उसके टेस्ट में फ्लू की पुस्ती होती है तो स्वाएन फ्लू से यह दूसरी मौत हो जायेगी। इस मौत से अस्पताल प्रशासन मैं दहसत का महूल देखा जा रहा है।