Tuesday, December 22, 2009

दूध पर होगा 'लोहे' का कवच

बेंगलूरू। देश की 80 फीसदी गर्भवती महिलाएं, 56 फीसदी किशोरियां व 30 फीसदी किशोर हीमोग्लोबिन में लाल रक्त कणिकाओं (आयरन) की कमी यानी एनीमिया से पीडित हैं। ऎसे में हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय डेयरी अनुसंधान संस्थान द्वारा आयरन की परत चढाकर दूध उत्पादन की महात्वाकांक्षी योजना की सफलता आशा की किरण बन सकती है।
सोमवार को संस्थान के निदेशक एके श्रीवास्तव ने पत्रिका से कहा कि इस योजना के तहत आयरन व अन्य पौष्टिक तत्वों से प्रचुर दुग्ध उत्पादन की तकनीक पर संस्थान कार्यरत है। नई तकनीक के जरिए तरल दूध में आयरन की परत चढाई जाएगी। उपभोग के बाद यह शरीर को पूर्ण आयरन प्रदान करेगा।
दही रोकेगा कैंसर श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान ने प्रो-बॉयोटिक बैक्टीरिया युक्त विशेष दही तैयार करने की विघि तैयार कर ली है। यह दही पेट के कैंसर, मधुमेह, निमोनिया व ह्वदय सम्बन्धी रोगियों के लिए उपयोगी होगा। संस्थान खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से इसकी तकनीकी के हस्तान्तंरण पर बातचीत कर रहा है। जल्द ही यह दही बाजार में उपलब्ध होगा।
खास बनेगा चारा श्रीवास्तव ने कहा कि संस्थान दुधारू जानवरों के लिए खास चारा तैयार कर रहा है। यह चारा जानवरों के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड की मात्रा बढा देगा। तीन साल पूर्व शुरू की गई इस परियोजना पर अंतिम परिणाम छह माह में आ जाएगा।
नितिन शर्मा (news with us)

जमीन है नहीं और निकाल दी लॉटरी...!

जयपुर। बिना जमीन अवाप्त किए किसी को भूखंड आवंटित करना अपराध है। तमाम बिल्डरों के खिलाफ इस संबंध में कार्रवाई भी हो चुकी है, लेकिन अब यही अपराध जेडीए कर रहा है। मामला जेडीए की योजना 'अनुपम विहार' का है। इस योजना में जेडीए ने बिना पूरी जमीन अवाप्त किए न सिर्फ योजना बना डाली बल्कि लगभग दो हजार लोगों को भूखंड आवंटित कर दिया। अब ये आवंटी जेडीए का चक्कर काट रहे हैैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में जेडीए ने अजमेर रोड स्थित सेज के नजदीक 122.49 हेक्टेयर जमीन पर 'अनुपम विहार' योजना तैयार की। सारी कवायद पूरी हो गई। सूत्रों की मानें तो इस योजना की करीब 22.3 हेक्टेयर जमीन दो साल बाद भी जेडीए को नहीं मिल पाई है। यह जमीन अभी भी काश्तकारों के पास है। योजना के तहत लॉटरी को निकाली गई, लेकिन आवंटियों को भूखंड के नंबर नहीं दिए गए हैैं। इससे अब लोगों का आक्रोश बढता जा रहा है। वे कभी भी उग्र रूप ले सकते हैं।कदम दर कदम योजना :योजना में लोगों को दिखाई गई तस्वीर के हिसाब से कुल जमीन में से 22.3 हेक्टेयर जमीन के बगैर ही जेडीए आगे कदम बढता गया। जेडीए की तमाम घोषणाओं के बावजूद करीब दो हजार लोग अब भी चक्कर काट रहे हैैं। फैक्ट फाइल :- वर्ष 2007 में योजना की घोषणा- हजारों लोगों ने आवेदन किया, जनवरी 2009 में लाटरी निकाली।- कुल जमीन 122.49 हेक्टेयर। इसमें 22.3 हेक्टेयर काश्तकारों के पास।

जयपुर। बिना जमीन अवाप्त किए किसी को भूखंड आवंटित करना अपराध है। तमाम बिल्डरों के खिलाफ इस संबंध में कार्रवाई भी हो चुकी है, लेकिन अब यही अपराध जेडीए कर रहा है। मामला जेडीए की योजना 'अनुपम विहार' का है। इस योजना में जेडीए ने बिना पूरी जमीन अवाप्त किए न सिर्फ योजना बना डाली बल्कि लगभग दो हजार लोगों को भूखंड आवंटित कर दिया। अब ये आवंटी जेडीए का चक्कर काट रहे हैैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में जेडीए ने अजमेर रोड स्थित सेज के नजदीक 122.49 हेक्टेयर जमीन पर 'अनुपम विहार' योजना तैयार की। सारी कवायद पूरी हो गई। सूत्रों की मानें तो इस योजना की करीब 22.3 हेक्टेयर जमीन दो साल बाद भी जेडीए को नहीं मिल पाई है। यह जमीन अभी भी काश्तकारों के पास है। योजना के तहत लॉटरी को निकाली गई, लेकिन आवंटियों को भूखंड के नंबर नहीं दिए गए हैैं। इससे अब लोगों का आक्रोश बढता जा रहा है। वे कभी भी उग्र रूप ले सकते हैं।कदम दर कदम योजना :योजना में लोगों को दिखाई गई तस्वीर के हिसाब से कुल जमीन में से 22.3 हेक्टेयर जमीन के बगैर ही जेडीए आगे कदम बढता गया। जेडीए की तमाम घोषणाओं के बावजूद करीब दो हजार लोग अब भी चक्कर काट रहे हैैं।
फैक्ट फाइल :- वर्ष 2007 में योजना की घोषणा- हजारों लोगों ने आवेदन किया, जनवरी 2009 में लाटरी निकाली।- कुल जमीन 122.49 हेक्टेयर। इसमें 22.3 हेक्टेयर काश्तकारों के पास।
नितिन शर्मा (news with us)

Sunday, December 6, 2009

टेस्ट क्रिकेट की बादशाह बनी टीम इंडिया

रविवार की सुबह टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट में इतिहास रच दिया। दुनिया की सभी दिग्गज टीमों का पछाड कर टीम इंडिया टेस्ट क्रिकेट में पहली बार शिखर पर पहुंच गई है। मुम्बई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में श्रीलंका के साथ चल रही सीरिज का अंतिम टेस्ट मैच जीतने के साथ ही भारत ने न केवल श्रृंखला पर अपना कब्जा जमाया बल्कि टेस्ट क्रिकेट की सिरमौर भी बन गई।
यूं तो इस मकाम तक पहुंचने का आगाज मैच की शुरूआत में सहवाग की धुंआधार पारी के साथ ही गया था लेकिन इस शानदार आगाज को भारत के तेज गेंदबाज जहीर खान ने अंजाम तक पहुंचाया। श्रीलंका की दूसरी पारी के पांच विकेट चटक कर जहीर खान ने भारत को एक पारी और 24 रनों से जीत दिलाई। इसके साथ श्रीलंका के साथ खेली गई तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला को 2-0 से अपने नाम कर ली है। मैन ऑफ द मैच के साथ मैन ऑफ द सीरिज का खिताब भी वीरेन्द्र सहवाग को मिला। जहीर खान के हाथों श्रीलंका का अंतिम विकेट गिरने के साथ ही पूरा स्टेडियम झूम उठा। खिलाडियों के साथ-साथ जीत की खुशी में झूमते दर्शकों का नजारा भी देखने लायक था।
इस ऎतिहासिक जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि इस जीत का इंतजार लम्बे समय से टीम के साथ-साथ पूरे देश को था। उन्होंने इस जीत के लिए पूरे देश को बधाई देते हुए कहा कि पूरे देश के लिए यह काफी अहम दिन है।
जहीर का जलवा
श्रीलंका के साथ चल रहे इस श्रृंखला के अंतिम मैच के अंतिम दिन जहीर खान का जलवा छाया रहा। आधे घंटे में जहीर खान ने श्रीलंका के चार बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा जीत भारत की झोली में डाल दी। चौथे दिन श्रीलंकाई टीम को कुछ देर के लिए आस बंधाने वाले कप्तान संगाकारा आज कुछ खास नहीं कर पाए और अपने 133 रन के स्कोर में मात्र चार रन जोडकर जहीर खान की एक गेंद पर चकमा खा बैठे। इसके बाद खेलने आए हेराथ भी जहीर खान के शिकार बने। मुथैया मुरलीधरन के साथ कुछ मिनटों के लिए क्रीज पर टिके बाकी दोनों बल्लेबाज भी ज्यादा देर तक भारत को जीत से दूर रखने में नाकामायाब रहे और जल्द ही जहीर खान के हाथों अपना विकेट गंवा बैठे। हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा को दो-दो विकेट मिले।
भारत की लगातार सातवीं जीत
श्रीलंका पर लगातार दूसरी टेस्ट जीत के साथ ही यह भारत की टेस्ट क्रिकेट मैच में लगातार सातवीं जीत है। जनवरी 2008 से अब तक सात टेस्ट सीरीज में हिस्सा लिया जिसमें से चार में जीत दर्ज की जबकि दो टेस्ट सीरिज में टीमको हार का सामना करना पडा। वहीं, एक सीरिज ड्रा रही।
124 अंकों के साथ पहले पायदान पर टीम इंडिया
इस जीत के साथ ही भारत आईसीसी टेस्ट क्रिकेट की रैकिंग में सर्वाधिक 124 अंको के साथ पहले स्थान पर पहुंच गया है। जबकि 122 अंकों के साथ दक्षिण अफ्रीका दूसरे, ऑस्ट्रेलिया 116 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा 115 अंकों के साथ श्रीलंका चौथे स्थान पर है।
टीम की जीत
टीम इंडिया के खिलाडियों ने इसे टीम की जीत बताया। अपने करियर में तीसरा तिहरा शतक पूरा कर पाने से महज सात रन से चूके वीरेन्द्र सहवाग ने जहां टीम को शुरू से ही मजबूती दिलाई। वहीं, सचिन तेंदुलकर, लक्ष्मण द्रविड और कप्तान धोनी की मजबूत पारियों के बदौलत टीम इंडिया ने इतिहास की शुरूआत मैच के पहले दिन ही कर दी थी। इसके बाद गेंदबाजों ने बल्लेबाजों की ताल से पूरी ताल मिलाई और टेस्ट मैच के अंतिम दिन इतिहास में पहली बार नम्बर एक टीम बनाने में अपनी अहम योगदान दिया। जहीर खान ने मैच में छह विकेट चटका कर मेहमान टीम की कमर तोड दी। हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा को मैच में दो-दो विकेट मिले।
सहवाग रहे हीरो
122.75 की औसत से शानदार 491 रन बनाने वाले वीरेन्द्र सहवाग इस ऎतिहासिक मैच के हीरो रहे। उन्हें मैन ऑफ द मैच के अलावा मैन ऑफ सीरिज के पुरस्कार से भी नवाजा गया। मैच के पहले ही दिन सहवाग ने 284 रन बनाए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। हालांकि दूसरे दिन अपने टेस्ट करियर का तीसरा तिहरा शतक पूरा नहीं कर पाने के कारण क्रिकेट प्रेमियों को थोडी निराशा जरूरी हुई थी। लेकिन पहली पारी में भारत के 726 रन विशाल स्कोर का दबाव मेहमान टीम पर भारी पडा।
राहुल द्रविड ने भी पूरी सीरिज में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 433 रन बनाए।
संगाकारा का भारत में पहला शतक
श्रीलंका की दूसरी पारी में टीम की हार को थोडी देर के लिए टालने वाल कप्तान संगाकारा 137 रन पर आउट हो गए। उनके करियर का 21 वां और भारत में पहला शतक है। कल ओपनर तिलकरत्ने दिलशान को जल्द ही खो देने के बाद परानविताना और संगकारा ने इसके बाद दूसरे विकेट के लिए 90 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की। लेकिन लंच के बाद का सत्र श्रीलंका के लिए अच्छा नहीं रहा। परानविताना ने अपना तीसरा अर्द्धशतक 134 गेंदों में आठ चौकों की मदद से पूरा कर लिया। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही वह एस श्रीसंत की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए। श्रीलंका अभी इस झटके से संभल भी नहीं पाया था कि जहीर ने मेहमान टीम को एक के बाद एक दो झटके देकर दहला दिया। जहीर ने फार्म में चल रहे माहेला जयवर्द्धने (12) को विकेट के पीछे धोनी के हाथों और थिलन समरवीरा (0) को दूसरी स्लिप में लक्ष्मण के हाथों कैच करवा दिया। एजेंलो मैथ्यूज चायकाल के ठीक पहले ओझा की गेंद पर धोनी को कैच थमा बैठे। रविवार की सुबह टीम इंडिया ने टेस्ट क्रिकेट में इतिहास रच दिया। दुनिया की सभी दिग्गज टीमों का पछाड कर टीम इंडिया टेस्ट क्रिकेट में पहली बार शिखर पर पहुंच गई है। मुम्बई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में श्रीलंका के साथ चल रही सीरिज का अंतिम टेस्ट मैच जीतने के साथ ही भारत ने न केवल श्रृंखला पर अपना कब्जा जमाया बल्कि टेस्ट क्रिकेट की सिरमौर भी बन गई।
यूं तो इस मकाम तक पहुंचने का आगाज मैच की शुरूआत में सहवाग की धुंआधार पारी के साथ ही गया था लेकिन इस शानदार आगाज को भारत के तेज गेंदबाज जहीर खान ने अंजाम तक पहुंचाया। श्रीलंका की दूसरी पारी के पांच विकेट चटक कर जहीर खान ने भारत को एक पारी और 24 रनों से जीत दिलाई। इसके साथ श्रीलंका के साथ खेली गई तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला को 2-0 से अपने नाम कर ली है। मैन ऑफ द मैच के साथ मैन ऑफ द सीरिज का खिताब भी वीरेन्द्र सहवाग को मिला। जहीर खान के हाथों श्रीलंका का अंतिम विकेट गिरने के साथ ही पूरा स्टेडियम झूम उठा। खिलाडियों के साथ-साथ जीत की खुशी में झूमते दर्शकों का नजारा भी देखने लायक था।
इस ऎतिहासिक जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि इस जीत का इंतजार लम्बे समय से टीम के साथ-साथ पूरे देश को था। उन्होंने इस जीत के लिए पूरे देश को बधाई देते हुए कहा कि पूरे देश के लिए यह काफी अहम दिन है।
जहीर का जलवा
श्रीलंका के साथ चल रहे इस श्रृंखला के अंतिम मैच के अंतिम दिन जहीर खान का जलवा छाया रहा। आधे घंटे में जहीर खान ने श्रीलंका के चार बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा जीत भारत की झोली में डाल दी। चौथे दिन श्रीलंकाई टीम को कुछ देर के लिए आस बंधाने वाले कप्तान संगाकारा आज कुछ खास नहीं कर पाए और अपने 133 रन के स्कोर में मात्र चार रन जोडकर जहीर खान की एक गेंद पर चकमा खा बैठे। इसके बाद खेलने आए हेराथ भी जहीर खान के शिकार बने। मुथैया मुरलीधरन के साथ कुछ मिनटों के लिए क्रीज पर टिके बाकी दोनों बल्लेबाज भी ज्यादा देर तक भारत को जीत से दूर रखने में नाकामायाब रहे और जल्द ही जहीर खान के हाथों अपना विकेट गंवा बैठे। हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा को दो-दो विकेट मिले।
भारत की लगातार सातवीं जीत
श्रीलंका पर लगातार दूसरी टेस्ट जीत के साथ ही यह भारत की टेस्ट क्रिकेट मैच में लगातार सातवीं जीत है। जनवरी 2008 से अब तक सात टेस्ट सीरीज में हिस्सा लिया जिसमें से चार में जीत दर्ज की जबकि दो टेस्ट सीरिज में टीमको हार का सामना करना पडा। वहीं, एक सीरिज ड्रा रही।
124 अंकों के साथ पहले पायदान पर टीम इंडिया
इस जीत के साथ ही भारत आईसीसी टेस्ट क्रिकेट की रैकिंग में सर्वाधिक 124 अंको के साथ पहले स्थान पर पहुंच गया है। जबकि 122 अंकों के साथ दक्षिण अफ्रीका दूसरे, ऑस्ट्रेलिया 116 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा 115 अंकों के साथ श्रीलंका चौथे स्थान पर है।
टीम की जीत
टीम इंडिया के खिलाडियों ने इसे टीम की जीत बताया। अपने करियर में तीसरा तिहरा शतक पूरा कर पाने से महज सात रन से चूके वीरेन्द्र सहवाग ने जहां टीम को शुरू से ही मजबूती दिलाई। वहीं, सचिन तेंदुलकर, लक्ष्मण द्रविड और कप्तान धोनी की मजबूत पारियों के बदौलत टीम इंडिया ने इतिहास की शुरूआत मैच के पहले दिन ही कर दी थी। इसके बाद गेंदबाजों ने बल्लेबाजों की ताल से पूरी ताल मिलाई और टेस्ट मैच के अंतिम दिन इतिहास में पहली बार नम्बर एक टीम बनाने में अपनी अहम योगदान दिया। जहीर खान ने मैच में छह विकेट चटका कर मेहमान टीम की कमर तोड दी। हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा को मैच में दो-दो विकेट मिले।
सहवाग रहे हीरो
122.75 की औसत से शानदार 491 रन बनाने वाले वीरेन्द्र सहवाग इस ऎतिहासिक मैच के हीरो रहे। उन्हें मैन ऑफ द मैच के अलावा मैन ऑफ सीरिज के पुरस्कार से भी नवाजा गया। मैच के पहले ही दिन सहवाग ने 284 रन बनाए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। हालांकि दूसरे दिन अपने टेस्ट करियर का तीसरा तिहरा शतक पूरा नहीं कर पाने के कारण क्रिकेट प्रेमियों को थोडी निराशा जरूरी हुई थी। लेकिन पहली पारी में भारत के 726 रन विशाल स्कोर का दबाव मेहमान टीम पर भारी पडा।
राहुल द्रविड ने भी पूरी सीरिज में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 433 रन बनाए।
संगाकारा का भारत में पहला शतक
श्रीलंका की दूसरी पारी में टीम की हार को थोडी देर के लिए टालने वाल कप्तान संगाकारा 137 रन पर आउट हो गए। उनके करियर का 21 वां और भारत में पहला शतक है। कल ओपनर तिलकरत्ने दिलशान को जल्द ही खो देने के बाद परानविताना और संगकारा ने इसके बाद दूसरे विकेट के लिए 90 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की। लेकिन लंच के बाद का सत्र श्रीलंका के लिए अच्छा नहीं रहा। परानविताना ने अपना तीसरा अर्द्धशतक 134 गेंदों में आठ चौकों की मदद से पूरा कर लिया। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही वह एस श्रीसंत की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए। श्रीलंका अभी इस झटके से संभल भी नहीं पाया था कि जहीर ने मेहमान टीम को एक के बाद एक दो झटके देकर दहला दिया। जहीर ने फार्म में चल रहे माहेला जयवर्द्धने (12) को विकेट के पीछे धोनी के हाथों और थिलन समरवीरा (0) को दूसरी स्लिप में लक्ष्मण के हाथों कैच करवा दिया। एजेंलो मैथ्यूज चायकाल के ठीक पहले ओझा की गेंद पर धोनी को कैच थमा बैठे।
नितिन शर्मा (news with us)

गुलामी जिन्दा है!

घर वालों से हर कोई लडने को, घर से निकालने को तैयार हो जाता है। बाहर वाले के आसानी से गुलाम हो जाते हैं। सहजता से जीने वाले पानी के प्रवाह की तरह नीचे की ओर बहते हैं। त्याग के लिए संघर्ष करने की तैयारी नहीं होती। कैसी विडम्बना है कि साठ साल की आजादी के बाद भी देश अंग्रेजी मानसिकता की जकड से बाहर नहीं निकल पा रहा। इस मानसिकता को बाहर निकालने की हिम्मत किसी में नहीं है। महाराष्ट्र में तो भारतीय भाषाओं पर आक्रमण किया जा रहा है। अगर किसी में दम है तो पहले गुलामी की मानसिकता को बाहर निकाले, बाद में भारतीय भाषाओं और विभिन्न प्रादेशिक नागरिकों को कुछ कहने लायक बनें।

राष्ट्रमण्डल (कॉमनवैल्थ) क्या है। उन देशों का संगठन, जो ब्रिटेन के गुलाम रह चुके हैं। इसके सदस्यों को आज भी ब्रिटिश महारानी के समक्ष नतमस्तक होना पडता है। कहने को इसका गठन सदस्य देशों में परस्पर तालमेल और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए किया गया है, पर किसके नेतृत्व में। अगले वर्ष राष्ट्रमण्डलीय खेलों का आयोजन भारत में किया जाएगा। क्या है इस आयोजन के पीछे की अवधारणा। इनमें वे ही देश भाग ले सकते हैं, जहां अंग्रेजों का शासन रह चुका है। इसका अर्थ क्या हैक् क्या हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि में एक भी ऎसा नहीं हुआ, जो इस तथ्य को समझ सकता कि क्रिकेट भी उन्हीं देशों में खेला जाता है, जहां अंग्रेजी हुकूमत रह चुकी है। अन्य देशों की टीमें इसमें नहीं खेलतीं।
सीपीयू (कॉमनवैल्थ प्रेस यूनियन) में उन्हीं देशों के मीडिया ग्रुप भाग लेते हैं, जहां अंग्रेजी विरासत मौजूद है। क्या यह परोक्ष नियंत्रण के सूचक बिन्दु नहीं हैक् मैंने भी पांच-छ: सीपीयू के सम्मेलनों में भाग लेकर देखा है। मेरे प्रश्नों का वहां भी कोई उत्तर देने वाला नहीं था। वहां आज भी सम्मेलन शुरू होने से पूर्व ब्रिटेन की महारानी के नाम टोस्ट करने के लिए सबको खडा होना पडता है। अन्य देशों के अध्यक्षों/ प्रधानों का वहां कोई वजूद नहीं है।
आश्चर्य की बात यही है कि इन सम्मेलनों में देश के अंग्रेजी दां गर्व के साथ भाग लेते हैं। कोई भी यह प्रश्न नहीं उठाता कि इनमें अन्य देशों की भागीदारी क्यों नहीं स्वीकृत होती। इसके अभाव में सारे प्रतिभागियों के मन में गुलामी की छाया बरकरार रहती है, क्योंकि अघिकांश बडे पदाघिकारी आज भी अंग्रेजी मूल के ही होते हैं। ये सारे आयोजन हमारी गुलामी की विरासत के ही दस्तावेज हैं, गुलामी के नासूर हैं, जिसे हम अगली पीढी को भी सौंपकर जाना चाहते हैं। क्या यह आयोजन आजादी की लडाई के शहीदों का अपमान नहीं है। हमें या तो इन खेलों में अन्य सभी देशों को भाग लेने का खुला निमंत्रण देना चाहिए या फिर हमको इन राष्ट्रमण्डलीय आयोजनों का बहिष्कार करके स्वयं को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर देना चाहिए। हर देशवासी का सम्मान इस निर्णय के साथ जुडा है। नई पीढी अवश्य इनके मुंह पर थूकेगी।

साभार: गुलाब जी कोठारी , राजस्थान पत्रिका

नितिन शर्मा (news with us)

Tuesday, December 1, 2009

राज्यपाल एसके सिंह का निधन

राजस्थान के राज्यपाल शीलेन्द्र कुमार सिंह का आज निधन हो गया। वो दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड गई है।
एसके सिंह का जन्म 24 जनवरी 1932 को हुआ था। राजस्थान से पहले वो अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल थे।
नितिन शर्मा (news with us)