Monday, May 10, 2010

एनडीटीवी और एचटी का क्या स्टैंड होगा?

करोड़ों रुपये के टेलीकाम घोटाले से संबंधित सरकारी दस्तावेज में बरखा दत्त और वीर सांघवी का नाम नीरा राडिया के लिए लाबिंग करने वालों के रूप में आने के बाद इन दिग्गज पत्रकारों के मीडिया हाउस क्या रवैया अपनाते हैं, यह भी देखा जाना बाकी है. बरखा दत्त एनडीटीवी की ग्रुप एडिटर हैं तो वीर सांघवी हिंदुस्तान टाइम्स के संपादकीय सलाहकार. इन दोनों बड़े मीडिया हाउसों के लिए बरखा और वीर का नाम टेलीकाम घोटाले से जुड़ना परेशानी पैदा करने वाला है. पर क्या अभी तक इन संस्थानों को अपने इन पत्रकारों की भूमिका के बारे में पता नहीं है? जो दस्तावेज मीडिया सर्किल में घूम रहे हैं, वे इन संस्थानों के संचालकों तक अभी नहीं पहुंचे हैं? या फिर इन मीडिया हाउसों को ये उम्मीद है कि उनके इन दिग्गज चेहरों के बारे में खुलासा कहीं नहीं होगा और ये मामला दब कर रह जाएगा? जो भी हो, लेकिन अब बरखा और वीर के नाम सार्वजनिक होने के बाद एनडीटीवी और एचटी प्रबंधन पर दबाव बढ़ेगा.
इन मीडिया हाउसों से उम्मीद की जाएगी कि वे अपने-अपने इन दिग्गज पत्रकारों से पूछताछ कर दुनिया के सामने अपना स्टैंड क्लीयर करें. या फिर जांच बिठाकर पूरे मामले की छानबीन कराएं. तदनुसार कार्रवाई कराएं. अगर इस देश का कोई छोटा पत्रकार किसी छोटे-मोटे मामले में शामिल पाया जाता है तो मीडिया समूह उसे बाहर करने में तनिक भी देर नहीं करते. ज्यादातर मीडिया हाउसों ने अपने यहां पत्रकारीय अनुशासन की कसौटियां तय कर रखी हैं, भले ही दिखावे के लिए ही सही. वे अपेक्षा करते हैं कि उनके न्यूज रूम के छोटे से बड़े लोग, उनके छोटे से बड़े पत्रकार पत्रकारीय मर्यादाओं का पालन करेंगे और ऐसा व्यवहार करेंगे जिससे उनके मीडिया समूह का नाम बदनाम ना हो.
हालांकि यही मीडिया समूह अपने हिस्से में लाभ हासिल करने के लिए अपने यहां के कई दिग्गज पत्रकारों को सत्ता से नजदीकी बढ़ाने और मीडिया हाउस को लाभ दिलाने के लिए कहते हैं लेकिन यह सब करते-कराते हुए भी वे अपेक्षा करते हैं कि सारा मामला ढंका-छुपा रहेगा. पर मीडिया हाउसों के लिए काम करते-कराते पत्रकार कब खुद के लिए काम कराने लगते हैं, इसका पता किसी को नहीं चलता और चलता भी है तो बहुत बाद में.
ऐसे ही नहीं है कि इस देश में पेड न्यूज की परंपरा मीडिया हाउसों में सर्वमान्य नैतिकता की तरह प्रचलित हो रही है और सत्ता से लायजनिंग के काम के पवित्र काम के रूप में स्थापित किया जा रहा है. बरखा दत्त जैसी चर्चित पत्रकार अभी तक एनडीटीवी के लिए ब्रांड एंबेसडर सरीखी हुआ करती थीं लेकिन टेलीकाम घोटाले में नाम जुड़ने से न सिर्फ उनकी ब्रांड इमेज पर असर पड़ेगा बल्कि एनडीटीवी की साख भी प्रभावित होगी. यही हाल वीर सांघवी और एचटी का भी है. इन दोनों पत्रकारों और जिन मीडिया समूहों में ये पत्रकार काम करते हैं उनके इस प्रकरण पर स्टैंड की प्रतीक्षा पूरी पत्रकार बिरादरी को रहेगी.

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